अर्ह |
arh |
31 |
- जागृति पूर्वक द़ृष्टा पद में प्रमाणित होने योग्य।
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अहंकार |
ahankaar |
31 |
- आत्मानुभूति में अक्षम बुद्धि फलस्वरूप भ्रमित चित्रण एवं विचार।
- आत्मा का संकेत ग्रहण करने में बुद्धि की अक्षमता। आत्म बोध रहित बुद्धि।
- सत्य बोध योग्य संस्कारों से समृद्ध होने तक बुद्धि ही अहंकार के रूप में है। अहंकार ही भ्रम एवं अज्ञान का कारण है। इसी अहंकार को चित्त में अभिमान, वृत्ति में हठ तथा मन में आवेश संज्ञा है।
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अहमता |
ahmata |
31 |
- अहंकार, भ्रमित मानसिकता।
- अभिमान।
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अहित |
ahit |
31 |
- स्वास्थ्यवर्धन व संरक्षण में विघ्न, संकट, शोषण, रोग।
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अक्षय |
akshay |
31 |
- क्रिया व कार्य के अनन्तर और क्रिया, कर्म के लिए अर्हताओं का एक सा बने रहना। सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व समग्र ही सत्ता में सम्पृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति है। चैतन्य प्रकृति अक्षय बल-शक्ति सम्पन्न है।
- पूर्ण व पूर्णता अक्षय है। अन्तर्नियोजित बल-शक्ति का प्रक्रियाबद्ध होकर फल परिणाम अवधि में जागृति सहज प्रमाण है। गठन पूर्ण परमाणु में अपरिणामिता है। अक्षय बल शक्ति की स्थिति है।
- शून्याकर्षण में पृथ्वी सहज स्थिति गति अक्षय है।
विकास और विकास क्रम में आवर्तनशील नियम अक्षय है।
संबंधों के निर्वाह में न्यायपूर्ण व्यवहार अक्षय है।
जागृति में आचरणपूर्णता सजगता अक्षय है।
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अक्षय बल |
akshay bal |
32 |
- मूल्यों का आस्वादन, न्याय धर्म सत्य सहज तुलन, साक्षात्कार व बोध, अस्तित्व में बोध व अनुभव ही अक्षय बल है।
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अक्षय महिमा |
akshay mahima |
32 |
- सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व में जागृत जीवन।
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अक्षय शक्तियाँ |
akshay shaktiyaan |
32 |
- चयन, विश्लेषण, चित्रण, संकल्प व अनुभव प्रमाण सम्पन्न जागृत जीवन शक्ति वर्तमान।
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अक्षयशील |
akshayshil |
32 |
- जीवन, जीवन शक्तियाँ व बल अक्षयशील है।
- जीवन में अक्षय बल का क्षरण नहीं होता। सहअस्तित्व में प्रत्येक इकाई बल सम्पन्नता से मुक्त नहीं है।
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अक्षुण्णता |
akshunnata |
32 |
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अक्षुण्णतारत |
akshunnatarat |
32 |
- अस्तित्व में जागृत जीवन, सहअस्तित्व सहज प्रमाण धरती परम्परा अखण्डता सार्वभौमता के अर्थ में जीवन व जीवन जागृति प्रमाण मानव परम्परायें किसी धरती पर ही होता है।
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अज्ञान |
agyan |
32 |
- अतिव्याप्ति, अनाव्याप्ति, अव्याप्ति।
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अज्ञानता |
agyanta |
32 |
- अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान में वंचित रहना।
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अज्ञानवश |
agyanvash |
32 |
- भ्रमवश समस्या, क्लेश, दु:ख, अव्यवस्था।
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अज्ञानी |
agyani |
32 |
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आकस्मिक |
aakasmik |
32 |
- अप्रत्याशित फल परिणाम घटना।
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आकर्षण |
aakarshan |
32 |
- ध्यान देने की आवश्यकता।
- परस्पर मिलन में दूरी का ऋणीकरण क्रिया (मिलन में दूरी का घटना)।
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आकार |
aakar |
32 |
- निश्चित अवधि में स्थिर रचना।
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आकाश |
aakash |
32 |
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आकाशगंगा |
aakashganga |
32 |
- अगनित अथवा बहु संख्यक ग्रह गोल व्यूह-ग्रह गोलों का समूह।
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