अस्तित्व सहज |
astitva sahaj |
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- नित्य वर्तमान होने के रूप में वर्तमान।
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अस्तित्व में अखण्डता |
astitva me akhandata |
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अस्तित्व सर्वस्व |
astitva sarvasv |
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- होने के रूप में, व्यापक वस्तु में समाहित जड़-चैतन्य प्रकृति, व्यापक वस्तु रूपी सत्ता में संपृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति, सत्ता में भीगा डूबा घिरा हुआ जड़-चैतन्य प्रकृति अस्तित्व ही सह अस्तित्व, सहअस्तित्व ही चार अवस्था पदों में गण्य है। सह अस्तित्व में ही मानव मनाकार को साकार करने वाला मन: स्वस्थता सहज प्रमाण ही जागृति है। अस्तित्व स्थिर व विकास एवं जागृति निश्चित है।
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अस्मिता |
asmita |
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- अहंकार। स्वयं को श्रेष्ठ अन्य को नेष्ठ मानना, स्वयं के रूप, बल, धन, पद के प्रति अधिमूल्यन दोष ही अहंकार।
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अस्थिर |
asthir |
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- मानव भ्रमवश अधिकतम अनिश्चयता से पीड़ित।
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अस्तु |
astu |
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असत्य |
asatya |
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- न्याय, धर्म, सत्य विरोधी मानसिकता।
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असत्य ज्ञान |
asatya gyan |
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- अस्तित्व व अस्तित्व में जो जैसा है उसे उससे भिन्न मानना।
- भ्रमित मानसिकता का प्रकाशन।
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असफल |
asaphal |
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- विकास क्रम, विकास, जागृति क्रम, जागृति विरोधी मानसिकता प्रवृत्ति से किया गया सभी कार्य-व्यवहार असफल।
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असमंजस |
asamanjas |
30 |
- निर्णय निश्चय समाधान नहीं हो पाने, समस्याओं से परेशानी।
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असमर्थ |
asamarth |
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असाध्य |
asadhya |
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- नियति विरोधी कार्य-व्यवहार, विचार से समाधान होने में असाध्य।
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असार्थक |
asarthak |
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असार्थकता |
asarthakta |
30 |
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असार्थकता का विकल्प |
asarthakta ka vikalp |
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- सार्थकता, ज्ञान, विवेक, विज्ञान।
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असीमित |
asimit |
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- व्यापक वस्तु, सत्ता। ज्ञान परम्परा के रूप में प्रवाहित है उसे सीमा में नहीं बांधा जा सकता है।
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अस्वागतीय |
asvagatiya |
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अशान्ति |
ashanti |
31 |
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अशेष |
ashesh |
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- सम्पूर्ण (सत्ता में संपृक्त प्रकृति)।
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अर्हता |
arhata |
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- जागृति पूर्वक द़ृष्टा पद, जागृति सहज प्रमाण सम्पन्नता।
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