अवकाश |
avakash |
25 |
- प्रत्येक इकाई की परस्परता के मध्य में पाये जाने वाले रिक्त स्थान के रूप में ऊर्जा, व्यापक अस्तित्व।
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अवधारणा |
avadharana |
25 |
- वस्तु स्थिति सत्य, वस्तुगत सत्य, स्थिति सत्य-सत्य बोध सहज यथावत् जानने मानने की बोध क्रिया।
- बुद्धि में होने वाले अध्ययन विधि से बोध ही अवधारणा है जो मन, वृत्ति, चित्त में भास, आभास और साक्षात्कार से अधिक स्थिर होते हैं।
- न्यायपूर्ण व्यवहार, धर्मपूर्ण विचार व सत्य सहज स्वीकृति (बोध) ही अवधारणाएं हैं जो अभ्युदय सर्वतोमुखी समाधान है।
- बुद्धि सहज प्रतीति को जान लिया, मान लिया, पहचान चुके हैं - यही अवधारणा है।
- अवधारणा ही अनुमान की पराकाष्ठा एवं अनुभव के लिए उन्मुखता है। अवधारणा के अनंतर ही अनुभव होता है।
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अव्याप्ति दोष |
avyapti dosh |
26 |
- भ्रमवश निर्मूल्यन कार्य, व्यवहार।
- निरीक्षण परीक्षण में त्रुटि, अपूर्णता।
- यथार्थता से भिन्न।
- जिसका अस्तित्व जैसा है, उसे उससे भिन्न मानने की भ्रमित क्रिया।
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अवगाहन |
avagahan |
26 |
- समझने की सफल प्रक्रिया।
- ओत-प्रोत अवस्था।
- अनुभव की साक्षी में अवधारणा क्रिया (अध्ययन बोध)।
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अवतरण |
avataran |
26 |
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अवतरित |
avatarit |
26 |
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अवतारी |
avatari |
26 |
- उपकार करने वाला, नासमझ को समझदार होने में सहायक होना।
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अवधि |
avadhi |
26 |
- सीमा, सभी ओर से सीमित इकाई, वस्तु।
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अवनति-अवकाश |
avanati-avkash |
26 |
- पतन की संभावना, गिरने की संभावना, ह्रास की संभावना, ह्रास की ओर गति।
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अवबोधन |
avabodhan |
26 |
- अवधारणा में, से, के लिए शिक्षा एवं उपदेश प्रक्रिया।
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अवयव |
avayav |
26 |
- एक रचना में समाहित उप रचना।
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अवलंबन |
avalamban |
26 |
- आश्रित अथवा आश्रम (श्रम सहित आश्रय किये रहना आश्रम है)। विकास पूर्ण परम्परा बनाये रखना।
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अवमूल्यन |
avamulyan |
27 |
- जो जिसकी मौलिकता है उससे कम आंकना।
- ह्रास = स्वभाव मूल्यों का अप्रकाशन।
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अवरोध |
avarodh |
27 |
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अवलोकन |
avalokan |
27 |
- निरीक्षण, परीक्षण व सर्वेक्षण, स्पष्टता-समझना, हर अवस्था सहज इकाईयों का रूप गुण स्वभाव धर्म समझना।
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अवस्था |
avastha |
27 |
- चार अवस्था (पदार्थ, प्राण, जीव, ज्ञान)।
- पूरकता उपयोगिता विधि से प्रकटन इसी धरती पर।
- विकास के क्रम में आश्वस्त होने में, से, के लिए इकाई की स्थिति, अनुभव के प्रकाश में समाने वाली क्रिया = अनुभूति। (चार अवस्था)
- पदार्थ अवस्था, प्राण अवस्था, जीव अवस्था, ज्ञान अवस्था - अस्तित्व सहज चार अवस्था।
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अवस्था भेद |
avastha bhed |
27 |
- चारों अवस्था में निश्चित पहचान मौलिक पहचान और प्रयोजन।
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अवस्था चतुष्टय |
avastha chatushtaya |
27 |
- पदार्थावस्था, प्राणावस्था, जीवावस्था, ज्ञानावस्था (मनुष्य)।
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अवश्यम्भावी |
avashyambhavi |
27 |
- भविष्य में घटने वाली घटना।
- किसी भी कार्यकलाप का फल परिणाम होना।
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अवसरवादी |
avasaravadi |
27 |
- प्रिय-हित-लाभात्मक प्रवृत्ति पूर्वक किया गया द्रोह, विद्रोह, शोषण, युद्ध, कार्य।
- इसे आगे पीढ़ी को समझाना यही भ्रमात्मक परम्परा है।
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