अभिलाषा |
abhilasha |
22 |
- समाधान सुखी होने सहज आशा अपेक्षा।
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अभिव्यक्ति |
abhivyakti |
22 |
- सर्वतोमुखी समाधान में, से, के लिए किया गया कायिक वाचिक मानसिक क्रियाकलाप।
- अभ्युदय के अर्थ में स्वअस्तित्व सहज प्रकाशन। चैतन्य प्रकृत्ति की आशा, विचार, इच्छा, संकल्प एवं अनुभूतियों तथा जड़ प्रकृति रूपी शरीर की रासायनिक तथा भौतिक रचना व क्रिया के द्वारा अन्य को सर्वतोमुखी समाधान, समझ में आने के रूप में किया गया संपूर्ण कायिक, वाचिक, मानसिक क्रिया।
- अभ्युदय अर्थात् सर्वतोमुखी समाधान का क्रियान्वयन विचार, विन्यास, व्यवहार क्रियाकलाप।
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अभिव्यंजना |
abhivyanjana |
22 |
- अभ्युदय (सर्वतोमुखी) में, से, के लिए प्राप्त प्रेरणाओं को स्वीकार करने और उत्सवित रहने सहज प्रमाण।
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अभिशाप |
abhishap |
23 |
- भ्रमवश समस्याओं की पीड़ा से पीड़ित रहना और पीड़ित करना।
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अभिहित |
abhihit |
23 |
- समाधान जागृति के लिए निश्चित विधि बोध/समझ में आना।
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अभीप्सा |
abhipsa |
23 |
- अभ्युदय के लिए स्वीकृति व इच्छा।
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अभीष्ट |
abhisht |
23 |
- जागृति सहज वैभव परम उपलब्धि के रूप में स्वीकारना प्रकट करना।
- अभ्युदय के अर्थ में प्रयुक्त आशा, आकांक्षा, इच्छा, संकल्प।
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अभीष्ट समाधान |
abhisht samadhan |
23 |
- सर्वतोमुखी समाधान सहज प्रमाण प्रस्तुत करना।
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अभीष्ट सिद्धि |
abhisht siddhi |
23 |
- निर्भ्रमता पूर्वक इच्छा, कर्म व फल का संतुलन ही अभीष्ट सिद्धि है।
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अभ्यस्त |
abhyast |
23 |
- अभ्यास क्रिया जागृति सहज प्रमाण के रूप में प्रस्तुत है।
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अभ्यास |
abhyas |
23 |
- अध्ययन विधि में सर्वतोमुखी समाधान रूपी व्यवस्था सहज साक्षात्कार करने के लिए किया गया प्रयास व प्रयोग।
- अभ्युदय, सर्वतोमुखी विकास के लिए किया गया निष्ठापूर्ण तथा क्रमबद्ध प्रयास।
- शास्त्राभ्यास, व्यवहाराभ्यास, कर्माभ्यास, अवधारणा पूर्वक चिंतनाभ्यास।
- समाधान पूर्ण संचेतना पूर्वक मनुष्य के समस्त क्रियाकलाप।
- न्याय द़ृष्टि सम्पन्न, दयापूर्वक समस्त कार्य-व्यवहार मानवीय परस्परता में पूरकता व उदात्त पूर्वक क्रियायें, साम्य मूल्यों में समानता व विश्वास सहज निरंतरता से अनुभूति, मानवीय कार्य, साधनों के उत्पादन-विनिमय व सुरक्षा-सदुपयोग की सुनिश्चितता व निरंतरता सहज कार्यकलाप, पारंगत व प्रमाणित होने की प्रक्रिया।
- मानव अपने जागृति को प्रमाणित करना ही अभ्यास का तात्पर्य है। अभ्यास अपने सार्थक स्वरुप में सर्वतोमुखी समाधान के लिए किया गया अनुभव, विचार, व्यवहार समुच्चय है।
- अनुभव के पहले समझने के लिए ध्यान देना, अनुभव के पश्चात् प्रमाणित करने के लिए चिंतनाभ्यास, व्यवहाराभ्यास, कर्माभ्यास।
- श्रवण-मनन विधि।
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अभ्यास दर्शन |
abhyas darshan |
24 |
- अभ्यास से होने वाले प्रयोजन उपयोगिता व आवश्यकता सहज स्वीकृति।
- समझ सहज आवश्यकता रूप में स्वीकृति।
- समझने के उपरान्त समझाने में ध्यान देने पर स्वीकृति।
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अभ्यास त्रय |
abhyas tray |
24 |
- प्रयोग, व्यवहार और चिंतन।
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अभ्युदय |
abhyudaya |
24 |
- सर्वतोमुखी समाधान (मानवीय शिक्षा, संस्कार, आचरण, व्यवहार, विचार एवं अनुभूति, राज्य व्यवस्था एवं संविधान परंपरा) सम्पन्नता व प्रमाण परम्परा वर्तमान।
- सार्वभौम राज्य व्यवस्था।
- मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि की सम-विषमातिरेक का नियंत्रण सहज।
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अभ्युदय पूर्ण |
abhyudaya purna |
24 |
- अखण्ड सामाजिकता सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी सहज परम्परा।
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अभ्युदयशील |
abhyudayashil |
24 |
- सर्वतोमुखी समाधान में, से, के लिए प्रयत्न सहज क्रिया कलाप की स्वीकृति व प्रमाण।
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अमति |
amati |
24 |
- अमान्य कर्म, शास्त्र व विचार।
- जीव चेतनावादी।
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अमन |
aman |
24 |
- सुखी होने का प्रमाण, सुख संतोष सम्पन्नता।
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अमरत्व |
amaratva |
24 |
- अक्षय बल व शक्ति सम्पन्न चैतन्य इकाई गठन पूर्णता, चैतन्य क्रिया, चैतन्य पद प्रतिष्ठा और भ्रम मुक्ति तथा उसकी निरंतरता ।
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अमर |
amar |
24 |
- परिणाम का अमरत्व जीवन रूपी चैतन्य इकाई।
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