अन्तरंग-व्यवहार |
antarang-vyavahar |
17 |
- सहअस्तित्व में अनुभव सहज प्रमाण सम्पन्न बुद्धि में बोध और प्रमाणित करने सहज संकल्प।
- बुद्धि में प्रमाणित करने सहज संकल्प, चित्त में चिंतनपूर्वक साक्षात्कार, वृत्ति में विचार रूप में प्रमाणित होने सूत्र सहित चित्रण क्रिया।
- अनुभव व प्रमाण सहज चित्रण रूपी न्याय, धर्म, सत्य सहज तुलन विश्लेषण सहित आस्वादन पूर्ण प्रमाणित करने संबंधों का पहचान सहित चयन करना।
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अंतरंग साधन |
antarang sadhan |
17 |
- सहअस्तित्व में अनुभव प्रमाण सम्पन्नता।
- समाधान अभय व न्याय सम्पन्नता।
- वर्तमान में विश्वास।
- मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि एवं उससे उत्पन्न आशा, विचार, इच्छा व संकल्प क्रिया।
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अंतरविरोध |
antarvirodh |
16 |
- कहने में, बोलने में, सोचने में, करने में, होने में अर्थ व प्रयोजन संगत न होना, अपेक्षाओं के विपरीत फल-परिणाम घटित होना।
- जीवन क्रियाओं सहज परस्परता में विरोध जैसे चयन, विचार, चित्रण और संकल्प (अवधारणा) में परस्पर विरोध।
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अन्तरवाणी |
antarvani |
17 |
- अनुभवमूलक वचन, अनुभव सहज स्फुरण।
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अन्तरसंबंध |
antarsambandh |
17 |
- लक्ष्य में समानता का कायिक वाचिक मानसिकता में एकरूपता देश कालानुसार प्रक्रिया, फल परिणाम में एकरूपता।
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अन्तरण |
antaran |
18 |
- जागृति सहज यथास्थिति गति क्रिया परंपरा।
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अन्तरिक्ष |
antariksh |
18 |
- एक ब्रह्माण्डान्तर्गत अवकाश।
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अन्त:कलह |
antahkalah |
18 |
- भ्रमात्मक कल्पना सोच विचार समस्याओं से पीड़ित रहना।
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अन्तर्यामी |
antaryami |
18 |
- पारगामीयता और व्यापकता सहज महिमा।
- अन्तर्यामी में अनुभूति से अभिमान समाप्त होता है। अभिमान भ्रम का ही अंश है। अंर्तयामी का बोध मात्र से ही अनंत संसार को एक परिवार के रूप में आत्मीयता (अनन्यता) पूर्वक स्वीकारता है
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अन्त:करण |
antahkaran |
18 |
- मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि आत्मा सहज क्रियाकलाप।
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अंतर्नाद |
antarnad |
18 |
- आत्मप्रेरणा अनुभव सूत्र, अंत:करण की समन्वयता सहज अपेक्षा व प्रमाण होना।
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अन्तराल |
antaral |
18 |
- अनुभव अध्यापन कार्य व्यवहार व्यवस्था में समायोजित समयावधि।
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अन्धेरा |
andhera |
18 |
- अपारदर्शक वस्तु के एक ओर अधिक तप्त बिम्ब सहज प्रतिबिम्ब होना दूसरे ओर परछाई - अंधेरा।
- धरती के एक ओर सूर्य का प्रतिबिम्ब दूसरे ओर धरती की परछाई।
- परछाई जब तक रहता है इसे रात्रि, सूर्य का प्रतिबिम्ब बेला को दिन की संज्ञा है।
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अंश |
ansha |
18 |
- प्रत्येक छोटे से छोटे या बड़े से बड़े इकाई के गठन में पाये जाने वाले समस्त समान रूप, गुण, स्वभाव वाले इकाईयाँ अंश कहलाती है। परमाणु के गठन में पाये जाने वाले समस्त ‘कण’ परमाणु अंश कहलाते हैं, अणु के संगठन में परमाणु अणु अंश कहलाते हैं।
- अंश, इकाई के गठन के संदर्भ में समान है, जबकि भाग, विभाग व अंग पिंड व शरीर के संदर्भ में भिन्नता पायी जाती है जैसे शरीर के विभिन्न अंग-परंतु अंश के रूप में कोशिकाओं का समान पाया जाना।
- मानव शरीर में पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ, पाँच कर्मेन्द्रियाँ।
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अन्यमनस्क |
anyamanask |
19 |
- जागृति के लिए आशा किये रहना किन्तु संभव न हो पाना।
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अन्योन्याश्रित |
anyonyashrit |
19 |
- संबंध परस्परता में उपयोगिता पूरकता क्रम में।
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अन्तिम प्रक्रिया |
antim prakriya |
19 |
- फल परिणाम रूप में यथास्थिति।
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अन्तिम संकल्प |
antim sankalp |
19 |
- द़ृष्टा पद में जागृति सहज अभिव्यक्ति में, से, के लिए।
- अखण्ड समाज सूत्र व्याख्या में, से, के लिए।
- सार्वभौम व्यवस्था सूत्र व्याख्या में, से, के लिए।
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अन्वेषण |
anveshan |
19 |
- स्वयं को पहचानना व पहचानने सहज क्रिया।
- प्राप्य की उपलब्धि के लिए किए गए बौद्धिक एवं भौतिक प्रयास, खोज पूर्वक।
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अन्न |
anna |
19 |
- शरीर पोषण एवं परिवर्धन के लिए प्रयुक्त वस्तुयें।
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