अनुकम्पा |
anukampa |
10 |
- अभ्युदय के अर्थ में, सर्वतोमुखी समाधान में, से, के लिए समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी व भागीदारी से जीने देने के रूप में किया गया उपकार व सहयोग सहायता।
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अनुकरण |
anukaran |
10 |
- संप्रेषणा के रूप में किया गया मानसिक, कायिक व वाचिक क्रियाओं का दोहराना।
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अनुकूल |
anukul |
10 |
- स्वीकारने योग्य परिस्थितियाँ-परम्परागत क्रम में मानवीय संस्कृति सभ्यता विधि व्यवस्था सहज वर्तमान (आचरण)।
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अनुक्रम |
anukram |
10 |
- विकास क्रम, विकास, जागृति क्रम, जागृति और जागृति सहज निरंतरता।
- विकास क्रम में वर्तमान क्रिया-प्रक्रिया और उपलब्धि का पूर्ण चक्र या संपूर्ण रूप।
- आनुषांगिक क्रम ही अनुक्रम है।
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अनुक्रम से प्राप्त उत्पत्ति |
anukram se prapat utapatti |
10 |
- विकास क्रम में गुणात्मक योग्यता का उपार्जन।
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अनुगमन |
anugaman |
10 |
- परम्परा के रूप में अनुकरणीय गति, मानवीयता पूर्ण परम्परा गति में भागीदारी करना।
- अनुकरणीय गति।
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अनुग्रह |
anugrah |
11 |
- दया, कृपा, करुणा सहज अभिव्यक्ति संप्रेषणा।
- मानव परम्परा में जागृति सहज क्षमता के लिए योग्यता पात्रता स्थापना कार्य।
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अनुचित |
anuchit |
11 |
- मानवीयता, देव मानवीयता और दिव्य मानवीयता के विपरीत क्रियाकलाप जो स्वयं अमानवीयता के रूप में पशु मानव एवं राक्षस मानव के प्रवृत्ति एवं कार्यकलाप को स्पष्ट करता है ।
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अनुदान |
anudan |
11 |
- अभ्युदय के अर्थ में समर्पण।
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अनुपम |
anupam |
11 |
- मौलिकता सम्पन्न होना। पदार्थावस्था में मृद, पाषाण, मणि, धातु के रूप में मौलिक, प्राणावस्था व जीवावस्था मौलिक और ज्ञानावस्था में मानवीयता पूर्ण आचरण सम्पन्न मानव मौलिक है।
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अनुपम कर्म |
anupam karm |
11 |
- मानवीयता पूर्ण कर्म जो अनुसरण योग्य है।
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अनुपातिक विधि |
anupatik vidhi |
11 |
- सहअस्तित्व सहज स्थिति में मात्रा का गति में।
- सहअस्तित्व सहज स्थिति में दूरी का रचना में।
- सहअस्तित्व सहज स्थिति में विस्तार का परस्परता में।
- सहअस्तित्व सहज स्थिति में पूरकता ही अनुपातिक विधि है ।
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अनुप्राण |
anupran |
11 |
- अनुकरणीय प्रेरणा।
- सहअस्तित्व में विकास क्रम, विकास, जागृतिक्रम, जागृति सहज निरंतरता में परस्परता परस्पर प्रेरणा है।
- सह अस्तित्व में ही चारों अवस्थायें व पद अनुपातीय विधि से वर्तमान और उपयोगिता पूरकता विधि से प्रेरकता व प्रेरित होने का प्रमाण परम्परा।
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अनुप्राण सूत्र |
anupran sutra |
11 |
- विकास क्रम में भौतिक रासायनिक वस्तु के यथास्थिति सहज वैभव के अर्थ में।
- संपूर्ण प्रकृति परस्परता में पूरक है यही अनुप्राण सूत्र है।
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अनुप्राणित |
anupranit |
11 |
- चार अवस्था व चार पद व्यवस्था सहज रूप में प्रमाण परंपरा।
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अनुबन्ध |
anubandh |
11 |
- संबंधों में आवश्यकता सहज आधार पर स्वीकृति पूर्वक पूरकता उपयोगिता विधि से निर्वाह।
- स्वीकृति व वचनबद्धता पूर्वक निर्वाह स्वीकृति, जागृति सहित संकल्प पूर्वक मानवत्व सहित व्यवस्था समग्र व्यवस्था में भागीदारी का निर्वाह।
- अनुक्रमात्मक परस्परता (विकास क्रम की अवधारणा एवं संकल्प सहित निष्ठा)। अनुक्रमात्मक विधियों की स्वीकृति।
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अनुबंधानुक्रम |
anubandhanukram |
12 |
- जागृति सहज परम्परा के रूप में निर्वाह।
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अनुबन्धित |
anubandhit |
12 |
- स्वीकृति, जागृत प्रयास व द़ृढ़ता।
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अनुबिम्ब |
anubimb |
12 |
- हर बिम्ब का प्रतिबिम्ब रहता ही है, हर प्रतिबिम्ब का प्रतिबिम्बन “अनुबिम्ब” कहलाता है जो बहुकोणों में प्रसारित रहता है।
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अनुबिम्बन |
anubimban |
12 |
- अनेक कोणों में प्रतिबिम्ब प्रसारण क्रिया।
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