अकरणीय |
akaraniy |
1 |
- अमानवीयता ही हर मनुष्य के लिए अकरणीय है।
|
View
|
अकर्तव्य |
akartavya |
1 |
- प्रत्येक स्तर पर स्थापित संबंध एवं संपर्क में निहित मूल्य, मानवीयतापूर्ण आशा व प्रत्याशा का निर्वाह न करना अथवा अमानवीयतापूर्वक आचरण व व्यवहार करना।
|
View
|
अकर्मणत्व |
akarmanatva |
1 |
- कर्म से मुक्ति पाने का प्रयास (आलस्य और प्रमाद)।
|
View
|
अकाल |
akaal |
1 |
- ऋतु असंतुलन पीड़ा, समस्या।
|
View
|
अकर्तृत्व |
akartritva |
1 |
- भ्रम से निराकर्षण ही अकर्तृत्व है। जागृति पूर्वक किये जाने वाले सभी क्रियाकलाप ही अकर्तृत्व है जो समाधानकारी सुखकारी है।
|
View
|
अक्रूर |
akroor |
1 |
- शाकाहारी शरीर रचना और शाकाहारी जीव व मानव।
|
View
|
अखण्ड |
akhand |
1 |
- व्यापक वस्तु जड़-चैतन्य प्रकृति में पारगामी व पारदर्शी यही अखण्ड है। जिसका भाग-विभाग, खंड-विखंड, छेद-विच्छेद, संगठन-विघटन न हो- यही अखण्ड है। सह-अस्तित्व रूपी अस्तित्व में अखण्डता अविभाज्यता स्पष्ट है।
- तीनों काल में सर्वत्र विद्यमान, भाग-विभाग रहित सहज नित्य वर्तमान वैभव (यही व्यापक है, अखण्ड है)।
- मानवीय संस्कृति, सभ्यता, विधि, व्यवस्था व आचरण में सामरस्यता-अखण्ड समाज और चारों अवस्था यथा-पदार्थ-प्राण-जीव और ज्ञानावस्था संपन्न धरती स्वयं अखण्ड। व्यापक अखण्ड है व्यापक वस्तु में हर धरती अखण्ड है। सहअस्तित्व में चार अवस्थाएं इस धरती में प्रकट है।
|
View
|
अखण्डता |
akhandata |
1 |
- परस्पर जागृत मानवों में अनन्यता ही अखंडता है।
|
View
|
अखण्ड राष्ट्र |
akhand rashtra |
1 |
- मानवीय शिक्षा, संस्कार, राज्य व्यवस्था, संविधान व आचरण में सामरस्यता का वर्तमान।
|
View
|
अखण्ड समाज |
akhand samaj |
1 |
- मानवीयता पूर्ण मानव समाज परंपरा; क्रियापूर्णता व आचरण पूर्णता सहज प्रमाण सम्पन्न मानव परंपरा; मानवीय शिक्षा संविधान व्यवस्था आचरण सम्पन्न मानव परम्परा; समुदाय चेतना से मुक्त मानव चेतना संपन्न परंपरा; भ्रम से मुक्त जागृति सम्पन्न मानव परंपरा; व्यक्तिवादी, समुदायवादी व अवसरवादी प्रवृत्तियों से मुक्त सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व सहज ज्ञान-विवेक-विज्ञान संपन्न मानव परंपरा; न्याय सत्यपूर्ण व्यवहार सहित मानव परम्परा; सर्वतोमुखी समाधान संपन्न शिक्षा संस्कार परम्परा; दश सोपानीय पाँच आयामी सहज व्यवस्था परम्परा; समाधान, समृद्धि अभय सहअस्तित्व सहज मानव परंपरा; मनाकार को साकार करना व मन:स्वस्थता सहज प्रमाण परम्परा।
- सहअस्तित्व, समाधान, अभय, समृद्धि पूर्णता।
- धार्मिक (सामाजिक), आर्थिक, राज्यनीति सहज पालन, परिपालन में एक सूत्रता।
- मानवीय संस्कृति, सभ्यता, विधि, व्यवस्था व आचरण में सामरस्यता।
|
View
|
अखण्डता में ओतप्रोत |
akhandata me otprot |
2 |
- व्यापक वस्तु में संपृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति सहज अविभाज्य वर्तमान।
- व्यापक वस्तु में सम्पृक्त नित्य क्रियाशील प्रकृति।
- नियम, नियंत्रण, संतुलन प्रमाण।
|
View
|
अग्रिमता |
agrimata |
2 |
- विकास क्रम पद्धति से चेतना विकास। स्थिति, गति एवं उपलब्धि की संभावना।
|
View
|
अग्रिम प्रक्रिया |
agrim prakriya |
2 |
- अखण्ड समाज सावर्र्भौम सहज सूत्र व्यवस्था में जीना।
|
View
|
अग्रगामीयता |
agragamiyata |
2 |
- सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व में विकास क्रम, विकास, जागृति क्रम व जागृति सहज निरंतरता।
- मानव परम्परा में अमानवीयता से मानवीयता, मानवीयता से देव मानवीयता, देवमानवीयता से दिव्य मानवीयता और निरंतरता।
- व्यक्ति से परिवार, परिवार से समुदाय, समुदाय से अखण्ड समाज सहज प्रमाण।
- विषय चतुष्टय प्रवृत्तियों से ऐषणात्रय प्रवृत्ति, ऐषणात्रय प्रवृत्ति से लोकेषणात्मक प्रवृत्ति, लोकेषणात्मक प्रवृत्ति से सर्वशुभ प्रवृत्ति अग्रगामीयता है।
|
View
|
अग्रेषण |
agreshan |
3 |
- आगे गति, आगे फल, आगे प्रयोजन।
- अग्रिम विकास के लिए क्षमता, योग्यता, पात्रता की नियोजन क्रिया।
अग्रिम विकास पद में संक्रमण, पूरकता व उदात्तीकरण क्रिया जैसे -
पदार्थावस्था से प्राणावस्था, प्राणावस्था से जीवावस्था, जीवावस्था से
ज्ञानावस्था की वर्तमान क्रिया सहित विकसित चेतना सम्पन्न परम्परा ।
|
View
|
अचेतन |
achetan |
3 |
- संवेदनाओं को प्रकाशित करने में व्यतिरेक व व्यवधान।
- कर्म स्वतंत्रता व कल्पनाशील संवेदनाओं को प्रकाशित नहीं कर पाना।
- अस्वस्थता।
|
View
|
अर्चना |
archana |
3 |
- यथास्थिति से श्रेष्ठ आचरण के लिए किया गया प्रकाशन, संप्रेषणा (विचार प्रक्रिया) एवं सहज अभिव्यक्ति पूर्णता के अर्थ में प्रस्तुति।
|
View
|
अछेद्य |
achhedya |
3 |
- जिसका भाग-विभाग न हो । साम्य ऊर्जा, सत्तात्मक अस्तित्व।
|
View
|
अजस्त्र प्रवहन |
ajastra pravahan |
3 |
- प्रखरता व पूर्णता में, से, के लिए समझ सहज निरंतरता।
- समाधान सहज निरंतरता।
- कार्य व्यवहार व्यवस्था सहज निरंतरता।
|
View
|
अजीर्ण |
ajirn |
3 |
- आवश्यकता से अधिक ग्रहण करना अथवा होना।
- आवश्यकता से अधिक संग्रह करना।
- आवश्यकता से अधिक अतिभोग, बहुभोग करना।
|
View
|