अध्यात्मवाद |
adhyatmavad |
8 |
- सह-अस्तित्व में अनुभव मूलक पद्धति से सत्ता में सम्पृक्त प्रकृति सहज अभिव्यक्ति।
- अनुभव मूलक विधि से सत्ता में संपृक्त जड़-चैतन्य प्रकृति सहज अभिव्यक्ति संप्रेषणा।
- अनुभव मूलक विधि से सत्ता में संपृक्त चारों अवस्थाओं का अध्यापन विधि से प्रकाशन।
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अध्यात्म विज्ञान |
adhyatm vigyan |
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- नित्य, सत्य, शुद्ध, बुद्ध सत्ता में अनुभूति योग्य क्षमता हेतु प्रयुक्त प्रक्रिया प्रणाली।
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अध्यास |
adhyas |
8 |
- शरीर में संपन्न होने वाले क्रियाकलाप-संवेदना।
- यांत्रिक क्रिया (कर्मेन्द्रिय द्वारा भी) बिना मन के सहायता या न्यूनतम सहायता से होने वाली क्रियाओं का सम्पन्न होना, “चलना सीखने के पश्चात चलना”।
- परम्परागत शारीरिक कार्यकलापों और विन्यासों को गर्भावस्था से ही स्वीकारने के क्रम में जन्म के अनंतर अनुकरण करने की प्रक्रिया।
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अनवरत |
anavarat |
8 |
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अनवरत सुलभ |
anavarat sulabh |
8 |
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अनर्थ |
anarth |
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- जिसका जो स्वभाव गुण न हो और जो गुणात्मक परिवर्तन के लिए सहायक न हो, जैसे - मनुष्य मानवत्व के प्रति जागृत न होकर जीवों के सद़ृश्य जिए।
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अनन्त |
anant |
8 |
- संख्याकरण क्रिया से वस्तुऐं अधिक होना संख्या में, अग्राह्य होना या स्थिति में अगणित रूपात्मक अस्तित्व ।
- गणितीय प्रक्रिया में आवश्यकता से अधिक (कम या) धन-ऋण की स्थिति में पाया जाने वाला रूपात्मक अस्तित्व-उक्त दोनों स्थितियों में गणना कार्य अपने को अपूर्ण पाता है।
- मानव में, से, के लिए सहअस्तित्व में समझने, चाहने, करने, उपयोग, सदुपयोग प्रयोजनकारी आवश्यकता से अधिक संख्या मात्रा व गुणों के रूप में वस्तुऐं वर्तमान है।
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अनन्यता |
ananyata |
9 |
- निभ्रम ज्ञान की निरंतरता।
- परस्पर उपयोगिता-पूरकता विधि से एकात्मता।
- मनुष्य की परस्परता में पूरक क्रिया कलाप प्रामाणिकता व समाधान में निरंतरता। अविकसित के विकास में सहायक क्रिया। सामरस्यता पूर्ण सहअस्तित्व और उसकी निरंतरता।
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अनासक्ति |
anasakti |
9 |
- भ्रम व अमानवीय विषयों से मुक्ति; मानवीय, देव व दिव्य मानवीय विषयों में प्रवृति प्रमाण।
- निराकर्षण ही अनासक्ति है।
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अनासक्त विचार |
anasakt vichar |
9 |
- अनासक्त विचार ही दिव्य मानव की स्वभाव सिद्ध वैचारिक प्रक्रिया है।
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अनावश्यक |
anavashyak |
9 |
- प्रतिक्रान्ति, जो विकास में सहायक न हो एवं अहितकारी हो ऐसे क्रियाकलाप।
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अनाव्याप्ति दोष |
anavyapti dosh |
9 |
- भ्रमवश अवमूल्यन कार्य व्यवहार।
- जिसका अर्थ जैसा है, उसे उससे कम मानने की भ्रमित क्रिया।
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अनादि |
anadi |
9 |
- शुरूआत के बिना नित्य वर्तमान।
- अस्तित्व सहज वर्तमान का कारण, गुण, गणित से आरंभ होने का प्रमाण सिद्ध न होना।
- जिसके आदि का कारण न होना अथवा उत्पत्ति का सूत्र ही न होना।
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अनित्य द़ृष्टि |
anitya drishti |
9 |
- बदलने वाली द़ृष्टि की अनित्य द़ृष्टि संज्ञा है - प्रिय, हित, लाभ द़ृष्टियाँ।
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अनिर्वचनीय |
anirvachaniya |
10 |
- वचन से नहीं बताया जा सकना अथवा नहीं बता पाना।
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अनिवार्य |
anivarya |
10 |
- समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, भागीदारी
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अनिवार्यता |
anivaryata |
10 |
- विकल्प विहीन आवश्यकता, प्रक्रिया।
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अनिश्चियता |
anishchiyata |
10 |
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अनिष्ट |
anisht |
10 |
- भ्रमात्मक सोच विचार कार्य-व्यवहार के रूप में समस्याएं।
- प्रगति एवं विकास और उसकी अपेक्षा के विपरीत घटना और क्रियाकलाप (अमानवीयता)।
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अनीति |
aniti |
10 |
- तन, मन, धन रूपी अर्थ का अपव्यय।
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