अनुभव |
anubhav |
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- चैतन्य इकाई (जीवन) में चारों परिवेशीय शक्तियों को वैभवित करने वाली मध्य में स्थित मध्यांश सहज अक्षय बल और उसका वैभव। क्रिया प्रक्रिया सहज पूर्ण चक्र अनुक्रम से प्राप्त ज्ञान प्रत्यावर्तन परावर्तन विधि से मध्यस्थ सत्ता व्यापक वस्तु सर्वत्र एकसा विद्यमान है यह प्रमाण प्रस्तुत होना अनुभव व समझ है, समझ ही अनुभव है।
- सहअस्तित्व में अस्तित्व सहज परमाणुओं में विकास क्रम, विकास, जीवन, जीवन में जागृतिक्रम-जागृति, रासायनिक भौतिक रचना-विरचनाओं सहज यथार्थता वास्तविकता व सत्यता को जानने-मानने की क्रिया। जीवन तृप्ति सम्पन्न होने वाली क्रिया अनुभव क्रिया है। व्यापक वस्तु जड़-चैतन्य प्रकृति में पारगामी है यह मानव परम्परा में ज्ञान प्रमाण व विवेक विज्ञान रूप में प्रस्तुत होना अनुभव है जो सर्वतोमुखी समाधान है।
- प्रत्येक मनुष्य में संचेतना पूर्णता सहज अर्थ में जानने-मानने, पहचानने और निर्वाह करने के रूप में क्रियारत है। पहचानने व निर्वाह करने की क्रिया जड़ प्रकृति में भी प्रमाणित है। मनुष्य में ही जानने और मानने का वैभव तृप्ति के रूप में है। सम्पूर्ण संबंधों और उसमें निहित मूल्यों को पहचानने व निर्वाह करने की अभिव्यक्ति, संप्रेषणा व प्रकाशन क्रिया। व्यापक वस्तु हर परस्परता में पारदर्शी है यह मानव परम्परा में भी प्रमाणित होना अनुभव है।
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अनुभव बल |
anubhav bal |
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- मानव परंपरा में, से, के लिए प्रमाण सहज स्त्रोत।
- मानव संचेतना सहज अभिव्यक्ति संप्रेषणा प्रकाशन।
- अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था सहज प्रकाशन।
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अनुभव गम्य |
anubhav gamya |
13 |
- अध्ययन पूर्वक अनुभव मूलक विधि से अभिव्यक्ति संप्रेषणा प्रकाशन।
- समीचीन अनुभव मूलक विधि से अनुभवगामी प्रणाली से अध्ययन व प्रमाण।
- मानवत्व सहित व्यवस्था समग्र व्यवस्था में भागीदारी सहज प्रमाण।
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अनुभवगामी |
anubhavgami |
13 |
- मानवीयता पूर्ण आचरण रूपी मानव संस्कृति का बोध कराना।
- मानवीय महिमा संपदा का बोध कराने व करने का कार्य।
- सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी में, से, के लिए आवश्यकता बोध कराना।
- अनुभव की ओर गमन, अध्ययन।
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अनुभवशील |
anubhavshil |
13 |
- अनुभव क्रम में अध्ययन-अध्यापन करता हुआ मानव।
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अनुभवात्मक अध्यात्म |
anubhavatmak adhyatm |
13 |
- सहअस्तित्व में अनुभूति और उसकी अभिव्यक्ति।
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अनुभूत |
anubhut |
13 |
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अनुभूति |
anubhuti |
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- अनुक्रम से प्राप्त सतर्कता एवं सजगता पूर्ण समझदारी की अभिव्यक्ति, संप्रेषणा व प्रकाशन (अनुक्रम अर्थात् विकास और जागृति)।
- अनुक्रम अर्थात् विकास एवं जागृति में प्राप्त सतर्कता एवं सजगतापूर्ण समझदारी, विचार शैली एवं जीने की कला जो स्वयं मानव परंपरा में प्रामाणिकता व समाधानपूर्ण अभिव्यक्ति, समाधान और न्यायपूर्ण संप्रेषणा तथा न्याय और नियमपूर्ण जीने की कला का प्रकाशन व क्रियाकलाप।
- अनुभूति स्वयं प्रत्येक मनुष्य में होने वाली जीवन जागृति सहज जानने व मानने की क्रिया है।
- अनुभव एक, अनुभूतियाँ अनेक। जागृति सहज अनुभवमूलक उपलब्धियाँ।
- सहअस्तित्व ही संपूर्ण भाव है, इस कारण प्रत्येक एक अपने ‘त्व’ सहित व्यवस्था है और समग्र व्यवस्था में भागीदार है। प्रत्येक एक में वास्तविकता और सत्यता नित्य वर्तमान है, उसे यथावत् जानने मानने की क्रिया ही मनुष्य में अनुभव के नाम से जाना जाता है।
- अस्तित्व संपूर्णता में, से, के लिए अनुभव।
- प्रमाण, बोध, अनुक्रम एवं क्रम ही चारों अवस्था व पदों में निहित धर्म स्वभाव सहज अभिव्यक्ति।
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अनुभूति सर्वस्व |
anubhuti sarvasva |
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- चिदानंद - चित्त में सत्य बोध में, से, के लिए आप्लावन, स्वीकृति और अभिव्यक्ति।
आत्मानंद - आत्म बोध सहज, बुद्धि में होने वाला आप्लवन ।
ब्रह्मानंद - सहअस्तित्व में अनुभव एवं उसकी अभिव्यक्ति ।
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अनुमान |
anuman |
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- अध्ययन विधि में अनुक्रम से किए गए अपेक्षा क्रिया जो वृत्ति, चित्त (स्मरण) और धृति के संयुक्तता में होता है।
- “निश्चित” क्रियाकलाप के पक्ष में किया गया अपेक्षा।
- अनुभव मूलक विधि से, अनुभव से अधिक उदय ही अनुमान है। अनुक्रम पूर्वक प्रमाणित करने का प्रयासोदय ही अनुमान है।
- आवश्यकीय (मानवीय) क्रियाकलापों के अर्थों में अपेक्षा।
- भ्रमवश किया गया अनिश्चित योजना आंकलन।
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अनुमोदन |
anumodan |
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- प्राप्त प्रस्ताव को स्वीकारना।
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अनुमोदित |
anumodit |
15 |
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अनुयायी |
anuyayi |
15 |
- निश्चित योजना कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए संकल्पनिष्ठ सम्पन्न मानव।
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अनुराग |
anurag |
15 |
- निर्भ्रमता में प्राप्त आप्लावन।
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अनुरागीय |
anuragiy |
15 |
- क्रमागत विधि सहज स्वीकृति व निष्ठा।
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अनुरंजित |
anuranjit |
15 |
- आवश्यकता के अनुसार शोभनीय रूप प्रदान करना, प्रेम सहज तत्परता।
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अनुरूप |
anurup |
15 |
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अनुवर्तित |
anuvartit |
15 |
- क्रमागत सार्थक आचरण व प्रक्रिया।
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अनुर्वरा |
anurvara |
15 |
- बीज को पाकर अनेक बीजों को प्रकट करने में अनुपयोगी, अक्षम मिट्टी।
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अनुसरण |
anusaran |
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- जिस सक्रियता में अनुशासित होने की क्षमता समाहित है उसे अनुसरण संज्ञा है।
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