अन्नमयकोष |
annamayakosh |
19 |
- इकाई में प्रवर्त्तित ग्रहण क्रिया, पदार्थावस्था में अंशों का ग्रहण, प्राणावस्था में रस पुष्टि तत्व का ग्रहण, जीवावस्था में जीने के लिए आशा (विषयों का) ग्रहण, ज्ञानावस्था में संस्कार ज्ञान ग्रहण प्रधान क्रिया है।
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अन्याय |
anyay |
19 |
- मानवीयता और गुणात्मक विकास में बाधक क्रियाकलाप।
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अपनापन |
apnapan |
19 |
- जागृत मानव सहज परस्पर संबंधों में विश्वास।
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अपनत्व |
apnatva |
19 |
- मानवत्व सहज समानता का पहचान विधि सहज प्रवृत्ति आचरण।
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अपरा |
apra |
19 |
- फलवत ज्ञान (परा अर्थात् मूलवत ज्ञान)।
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अपराध |
apradh |
19 |
- नियति विरोधी, सार्वभौम व्यवस्था विरोधी कार्य व्यवहार प्रवृत्तियाँ।
- पर धन, पर नारी। पर पुरुष पर पीड़न क्रिया।
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अपहरण |
apharan |
19 |
- बलपूर्वक अन्य के स्वत्व, स्वतंत्रता अधिकार पर हस्तक्षेप एवं उन्हें उससे वंचित कर देना।
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अपरिग्रह |
aparigrah |
19 |
- उत्पादन में स्वावलंबी, श्रमपूर्वक समृद्धि पर विश्वास होना।
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अपरिणामी |
aparinami |
19 |
- व्यापक वस्तु, चैतन्य इकाई, गठनपूर्ण परमाणु, जीवन।
- स्थिति पूर्ण सत्ता, अरूपात्मक अस्तित्व, ज्ञान, ब्रह्म, ईश्वर, निरपेक्ष शक्ति, चेतना व जीवन।
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अपरिष्कृत |
aparishkrit |
20 |
- वस्तु अपने निश्चित रूप गुण स्वभाव धर्म से विकृत होना।
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अपरिहार्य |
apariharya |
20 |
- यथास्थिति पूरकता उपयोगिता।
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अपरिहार्यता |
apariharyta |
20 |
- विकल्प विहीन सुलभ संभावना।
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अपव्यय |
apavyay |
20 |
- दीनता, हीनता, क्रूरता में, से,के लिए किया गया तन, मन, धन रूपी अर्थ का व्यय।
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अपव्यय का अत्याभाव |
apavyay ka atyabhav |
20 |
- मानवत्व सहित व्यवस्था समग्र व्यवस्था में भागीदारी।
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अपान वायु |
apan vayu |
20 |
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अपारदर्शकता |
apardarshakta |
20 |
- एक तरफ प्रकाश पड़ने पर दूसरे तरफ परछाई होना अपारदर्शकता का अर्थ है। अपारदर्शी वस्तु भी एक बिम्ब है। उस पर जितने भी प्रकाश पड़ता है वह सब किसी बिम्ब का ही प्रतिबिम्ब है।
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अप्रिय |
apriya |
20 |
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अपूर्ण |
apurna |
20 |
- किसी भी धरती पर चारों अवस्था त्व सहित व्यवस्था प्रकट होने के क्रम में अपूर्ण, प्रकट होने के उपरान्त परंपरा सहज वैभव है।
- इस धरती पर मानव अपने मनाकार को साकार करने के क्रम में समर्थ मन: स्वस्थता को प्रमाणित करने के क्रम में वर्तमान सन् 2008 तक अपूर्ण।
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अपूर्ण फल |
apurna phal |
20 |
- मानव समझदार, ईमानदार, जिम्मेदार, भागीदार होने के पहले अपूर्ण फल है। समुदाय मानसिकता सहित अपूर्ण है।
- जिस फल के अनंतर पुन: फलोपलब्धि के लिए प्रयास शेष हो।
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अपूर्ण दर्शन |
apurna darshan |
20 |
- मानव परंपरा में सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान संपन्नता पर्यन्त अपूर्ण दर्शन।
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