शासक |
shasak |
218 |
- नैतिकता का पालन करते हुए दूसरों को नैतिकता का व्यवहार, व्यवस्था पूर्वक अथवा सुधार व्यवस्था पूर्वक पालन कराने वाला व्यक्ति या व्यक्ति समूह।
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शासन (मानव में) |
shasan (manav me) |
218 |
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शासन के लक्षण |
shasan ke lakshan |
218 |
- नियम, नियंत्रण, संतुलन, न्याय, धर्म, सत्य, नियति क्रमानुसरण निर्विरोध व अवरोध उत्सारण (उन्मूलन)।
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शास्त्र |
shastra |
218 |
- स्वानुशासन के लिए प्रेरणा।
- निर्दिष्ट लक्ष्योन्मुख सिद्धांत-प्रक्रिया एवं नियम तथा वस्तु स्थिति का निर्देश पूर्वक बोध कराने वाले शब्द व्यूह की शास्त्र संज्ञा है।
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शास्त्राभ्यास |
shastrabhyas |
218 |
- अध्ययन विधि में श्रवण इच्छाशक्ति का प्रकटन।
- न्याय, धर्म, सत्य द़ृष्टि सहज अनुभव प्रमाणों चित्रित करने का प्रयास, प्रयोग, प्रक्रिया।
- साक्षात्कार, अवधारणा के लिए किया गया प्रयोग, श्रवण, प्रयास, चित्रणाभ्यास, विचाराभ्यास।
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शाश्वत |
shashwat |
218 |
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शाश्वत सत्य |
shashwat satya |
218 |
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शांति |
shanti |
218 |
- समाधान, समृद्धि सहज अनुभव, इच्छा एवं विचार की निर्विरोधिता।
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शिरो भाग |
shiro bhag |
218 |
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शिल्प |
shilp |
219 |
- वस्तु रचना कारीगरी, निपुणता, कुशलता पूर्वक प्रमाण।
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शिलान्यास |
shilanyas |
219 |
- वास्तु रचना की आरंभ क्रिया।
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शिलापात |
shilapat |
219 |
- किसी धरती के वातावरण में विरल रूप में भौतिक रासायनिक वस्तु अणु के रूप में होते हैं उन पर ब्रह्माण्डीय किरणों का योग होने से अति उष्मा संपन्न होना चुम्बकीय बलधारा के रूप में वृद्धि होना फलस्वरूप आसपास के अणुओं को एक करना घनीभूत होकर धरती पर गिरना।
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शिष्ट मूल्य |
shisht mulya |
219 |
- सौम्यता, सरलता, पूज्यता, अनन्यता, सौजन्यता, सहजता, उदारता, अरहस्यता, निष्ठा।
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शिष्टता |
shishtata |
219 |
- शिष्ट मूल्यों का निर्वाह।
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शिष्टतानुमोदन |
shishtatanumodan |
219 |
- द़ृष्टा पद प्रतिष्ठा संपन्न जागृत मानव का अनुमोदन।
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शिष्टाचार |
shishtachar |
219 |
- स्थापित मूल्यों सहित शिष्ट मूल्यों को प्रमाणित करना।
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शिष्य |
shishya |
219 |
- जिज्ञासु, मानवीय शिक्षा संस्कार को ग्रहण करने के लिए तत्पर।
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शिक्षण |
shikshan |
219 |
- शिक्षापूर्ण द़ृष्टि सहज चेतना विकास, जागृति की ओर दिशा, अध्ययनपूर्वक यथार्थ बोध निपुणता, कुशलता, पाण्डित्य सहज शिक्षण।
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शिक्षा |
shiksha |
219 |
- शिष्टता पूर्ण द़ृष्टि का उदय का प्रक्रिया।
- अस्तित्व में जीवन सहज मूल्य, मानव मूल्य, व्यवसाय मूल्य, स्थापित मूल्य एवं शिष्ट मूल्य के प्रति निर्भ्रम जानकारी सहित व्यवसाय, व्यवहार चेतना की परिष्कृति।
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शिक्षा नीति |
shiksha niti |
219 |
- सहअस्तित्व बोध, जीवन बोध, मानवीयतापूर्ण आचरण बोध सहित मानव लक्ष्य बोध, जीवन मूल्य बोध, लक्ष्य सफलता के लिए निश्चित दिशा बोध कराने के साथ-साथ स्वयं में विश्वास श्रेष्ठता का सम्मान, प्रतिभा और व्यक्तित्व में संतुलन व्यवहार में सामाजिक, उत्पादन में स्वावलंबन का बोध सर्व सुलभ होना। यहाँ बोध का तात्पर्य जीवन में समझने, स्वीकारने से है।
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