स्वजातीय |
svajaatiya |
213 |
- मानव जाति एक, गाय जाति एक, भेड़-बकरी जाति एक आदि। सर्व मानव शाकाहारी शरीर रचना के आधार पर एवं समाधान सुख के आधार पर मानव धर्म एक।
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स्वत्व |
svatva |
213 |
- होना, चेतना सहज आचरण करना।
- स्वाधीनता सहित प्रयोजित होना।
- मानव में मानवत्व, जीवों में जीवत्व, वनस्पतियों में वनस्पतित्व, पदार्थों में पदार्थत्व।
- अस्तित्व सहअस्तित्व सहज प्रकाशन।
- स्वत्व, स्वतंत्रता, अधिकार में अविभाज्य वर्तमान।
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स्वतंत्रता |
svatantrata |
213 |
- मानवत्व सहित व्यवस्था समग्र व्यवस्था में भागीदारी; स्वयं में, से, के लिए ज्ञान, विवेक, विज्ञान सम्मत समाधान सहजता को स्वयंस्फूर्त विधि से प्रमाणित करना-कराना।
- पूर्णता की निरंतरता, मानवीय संस्कृति, सभ्यता, विधि एवं व्यवस्था की अक्षुण्णता में भागीदारी।
- प्रामाणिकता व समाधान पूर्ण अभिव्यक्ति, सम्प्रेषणा व प्रकाशन क्रिया।
- स्वानुशासन पूर्ण पद्धति, प्रणाली, नीति पूर्वक किया गया कार्य व्यवहार विचार विन्यास।
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स्वधन |
svadhan |
213 |
- प्रतिफल, पारितोष, पुरस्कार रूप में प्राप्त धन।
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स्वनारी/पुरुष |
svanari/purush |
213 |
- परिवार और संबंधित बन्धु जनों के सहमति से व्यवस्था में जीने के लिए प्रतिज्ञा सहित दाम्पत्य रूप में जीने की प्रतिज्ञा, स्वीकृति समारोह पूर्वक अंगीकार।
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स्वप्न |
svapna |
213 |
- प्रमाणित न होने वाले परिकल्पनाएं।
- आधारहीन कल्पना।
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स्वभाव |
svabhav |
213 |
- मानवीयतापूर्ण स्वभाव धीरता, वीरता, उदारता, दया, कृपा, करूणा।
- स्वयं की मौलिकता, नियतिक्रम प्रतिष्ठानुरूप मौलिकता।
- प्रतिभाव से युक्त स्व-मूल्यांकन।
- गुणों की उपयोगिता।
- प्रत्येक एक का अपने-अपने अवस्था सहित भागीदारी।
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स्वभाव गति |
svabhav gati |
214 |
- स्वमौलिकता की निरंतरता जिसमें विकास की संभावना सन्निहित हो।
- त्व सहित व्यवस्था सहज भागीदारी।
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स्वभावात्मक सजातीयता |
svabhavatmak sajaatiyata |
214 |
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स्वयं |
svayam |
214 |
- जीवन रूप में और शरीर के संयुक्त रूप में मानव का स्पष्ट बोध प्रमाण होना।
- मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि, आत्मा का संयुक्त रूप।
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स्वयं में विश्वास |
svayam me vishvas |
214 |
- द़ृष्टा पद जागृति पूर्वक अनुभव प्रमाण।
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स्वयं सिद्ध |
svayam siddh |
214 |
- नियति विधि से प्रकट चार अवस्थायें।
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स्वयं स्फूर्त |
svayam sphurta |
214 |
- समझदारी पूर्वक, ईमानदारी सहित सर्वतोमुखी समाधान सहित किए गये जिम्मेदारी, भागीदारी।
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स्वयं स्फूर्त विधि |
svayam sphurt vidhi |
214 |
- स्वानुशासन पूर्वक जागृति सहज अभिव्यक्ति, संप्रेषणा, प्रकाशन।
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स्वर |
svar |
214 |
- निश्चित ध्वनि प्रसारण, निश्चित तर्ज पर ध्वनि प्रसारण, निश्चित दबावपूर्वक लयपूर्वक ध्वनि प्रसारण।
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स्वराज्य |
svarajya |
214 |
- न्याय सुलभता, विनिमय सुलभता, उत्पादन सुलभता का अविभाज्य वर्तमान और उसकी परंपरा।
- मानव परंपरा में मानवीय शिक्षा संस्कार, स्वास्थ्य संयम, न्याय सुरक्षा, उत्पादन में दिशा और निपुणता, कुशलता व साधन, विनिमय कोष, व्यवस्थाओं का अविभाज्य वर्तमान और उसकी परंपरा।
- परिवार मूलक स्वराज्य।
- मानव का वैभव परम्परा अखण्ड राष्ट्र समाज व सार्वभौम व्यवस्था सहज।
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स्वराज्य नीति |
svarajya niti |
214 |
- अर्थ का सुरक्षात्मक नीति, कार्य विधि।
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स्वरित |
svarit |
215 |
- सार्थकता के अर्थ में स्पष्ट रहना करना, निश्चित तर्ज पर ध्वनित करना, निश्चित आवश्यकता के अर्थ में ध्वनि स्पष्ट करना।
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स्वरूप |
svarup |
215 |
- रचना सहज रूप और जीवन सहज रूप संयुक्त रूप में मानव स्वरूप।
- स्वयं का रूप।
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स्वरूप विधि |
svarup vidhi |
215 |
- गठन एवं रचना, जागृति सहज प्रमाण।
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