स्वेदज |
svedaj |
216 |
- पसीने से अवतरित कीड़े-मकोड़े, कीट-पतंग।
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सृजन |
srijan |
216 |
- इकाई + इकाई।
- संतान के रूप में, उत्पादन के रूप में।
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सृजन क्रिया |
srijan kriya |
216 |
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सृजेता |
srijeta |
216 |
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सृष्टि |
srishti |
217 |
- पदार्थ के संगठन-विघटन, शोषण पोषण एवं गुणात्मक परिवर्तन समुच्चय।
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स्रोत |
srot |
217 |
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स्रावी |
sravi |
217 |
- किरणों को प्रसारित करने वाला।
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शक्ति |
shakti |
217 |
- स्वभाव गति सहज रूप में प्रमाण।
- गति।
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शताब्दी |
shatabdi |
217 |
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शब्द |
shabd |
217 |
- नाम के रूप में शब्द, नाम किसी वस्तु, क्रिया फल, परिणाम, स्थिति, गति के अर्थ में होता है, शब्द अक्षरों के योगफल में बनते हैं।
- एक से अधिक का संयुक्त घर्षण से उत्पन्न ध्वनि।
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शब्द व्यूह |
shabd vyuh |
217 |
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शमन |
shaman |
217 |
- भ्रम, क्लेश, दुख, समस्या का समाप्त होना, खत्म होना।
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शरण |
sharana |
217 |
- सदा के लिए स्वीकृति, मानवीयतापूर्ण आचरण स्वीकृति, अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी करने की स्वीकृति।
- समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व सहज अनुभव प्रमाण सहित शांति की अपेक्षा में अनन्यता की स्वीकृति।
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शरीर |
sharir |
217 |
- सप्त धातुओं से रचित समृद्ध मेधस संपन्न मानव शरीर, जीव शरीर इसको जीवन संचालित करता है, जीवंत बना कर रखता है, प्राणावस्था की रचनाएं प्राण कोशाओं से रचित बीजानुषंगी क्रम में स्पष्ट, स्वेदज संसार का शरीर रस से बनी है, रस मांस से बनी हुई है, रस, मांस, मज्जा से बनी हुई है, रस, मांस मज्जा, हड्डी से युक्त बनी हुई है, रस मांस मज्जा हड्डी स्नायु के साथ बनी हुई है, समृद्ध मेधस न होने के आधार पर ये स्वेदज कहलाते हैं ये सभी अवस्था के शरीर जलचर भूचर नभचर होते हैं। समृद्ध मेधस सम्पन्न जीव शरीर को जीवन संचालित करता है, तभी मानव के संकेतों को ग्रहण करता है।
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शरीर आयु मर्यादा |
sharir aayu maryada |
217 |
- आयु के अनुसार ज्ञानार्जन शिक्षा संस्कार प्रमाणीकरण श्रमशीलता सर्वाधिक न्यूनतम।
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शरीर में जीवन्तता |
sharir me jivantata |
218 |
- जीवन शरीर को संचालित करने के लिए जीवंत बनाए रखना।
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शरीर संतुलन |
sharir santulan |
218 |
- जागृति पूर्वक व्यवस्था सहज सार्वभौमता में भागीदारी।
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शरीर स्वस्थता |
sharir svasthata |
218 |
- जीवन जागृति सहज प्रमाण, द़ृष्टापद, सार्वभौम व्यवस्था सहज प्रमाणों को मानव परंपरा में प्रमाणित करने योग्य शरीर।
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शरीरगत |
sharirgat |
218 |
- शरीर व्यवस्था क्रियावाही तंत्र-सांस लेना, हृदय धड़कना।
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शाकाहार |
shakahar |
218 |
- प्राणावस्था की वस्तुओं से आहार।
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