शैशवकालीन मानसिकता |
shaishavkalin mansikata |
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श्वसन |
shwasan |
221 |
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हठ |
hath |
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- अहंकार को वृत्ति में ‘हठ’ संज्ञा है।
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हस्त |
hast |
221 |
- शरीर का अंगभूत अविभाज्य रूप में कार्यरत हाथ।
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हस्तलाघव |
hastlaghav |
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हस्तशिल्प |
hastshilp |
221 |
- बिना किसी औजार के केवल हाथों से ही संपन्न करने वाली कला।
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हर्ष |
harsh |
221 |
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हानि |
hani |
221 |
- अधिक वस्तु व सेवा के बदले में कम वस्तु व सेवा को पाना।
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हास |
has |
221 |
- समाधान सहित प्रसन्नता व मुस्कान सहित मानवीय लक्ष्य और दिशा की ओर गति।
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हासोल्लास |
hasollas |
221 |
- प्रसन्नता पूर्वक व्यवस्था में जीना, व्यवस्था में भागीदारी करना।
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हित |
hit |
221 |
- स्वास्थ्यकारी स्रोत।
- शरीर सीमानुवर्तीय उपयोगिता।
- शरीर सापेक्ष द़ृष्टि।
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हीनता |
hinta |
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हीनफल |
hinphal |
221 |
- हीनता का परिणाम- छल, कपट, दंभ, पाखंड।
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हेतुक |
hetuk |
221 |
- परिणाम, परिपाक एवं फल की हेतुक संज्ञा है।
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हृदय |
hriday |
222 |
- शरीर में खून को वितरित करने वाली क्रिया तंत्र।
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हृदयंगम |
hridayangam |
222 |
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ह्रास |
hras |
222 |
- गुरुमूल्यवत्ता से लघु मूल्य की ओर परिणाम।
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क्षण |
kshan |
222 |
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क्षमता |
kshamta |
222 |
- वहन करने वाली क्रिया, निर्वाह करने वाली क्रिया, धारकता सहित वाहक क्रिया।
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क्षमता सहज प्रमाण |
kshamta sahaj praman |
222 |
- जागृति संपन्नता, समझदारी संपन्नता, ईमानदारी संपन्नता, ज्ञान-विवेक-विज्ञान संपन्नता।
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