क्षमा |
kshama |
222 |
- अनावश्यकता के प्रति उदासीन अथवा विस्मरण।
- अन्य के विकास के लिए की जाने वाले सहायता के समय उसके ह्रास पक्ष से अप्रभावित रहने की क्षमता।
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क्षरण |
ksharan |
222 |
- रासायनिक एवं भौतिक क्रिया।
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क्षेत्र |
kshetra |
222 |
- प्रभाव क्षेत्र, कार्य क्षेत्र, निवास क्षेत्र, भ्रमण क्षेत्र।
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क्षेत्रफल |
kshetraphal |
222 |
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क्षांति |
kshanti |
222 |
- अज्ञान की अस्वीकृति क्षमता।
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क्षोभ |
kshobh |
222 |
- क्षमता एवं योग्यता की श्रम में परिणति के लिए विवशता।
- विषमता सहित विचार समस्या है यही क्षोभ है।
- श्र
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श्रद्धा |
shraddha |
222 |
- श्रेय की ओर गतिशीलता, जागृति की ओर गतिशीलता, समझदारी की ओर गतिशीलता।
- आचरणपूर्णता की ओर गुणात्मक परिवर्तन।
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श्रम |
shram |
222 |
- निपुणता कुशलता सहज मानसिकता पूर्वक शरीर के द्वारा उपयोगी कला मूल्य की स्थापना क्रिया के रूप में श्रम।
- इकाई की आशा और उपलब्धि की ऋण धनात्मक स्थिति ।
- बल सम्पन्नता, चुम्बकीय बल सम्पन्नता। परमाणु अंशों में साथ रहने की प्रवृत्ति।
- श्रम (बल) प्रत्येक इकाई में धर्म और स्वभाव के रूप में वर्तमान है।
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श्रम नियोजन |
shram niyojan |
223 |
- प्राकृतिक ऐश्वर्य पर श्रम नियोजनपूर्वक उपयोगिता व कला मूल्य को स्थापित करना।
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श्रम मूल्य |
shram mulya |
223 |
- श्रम नियोजन पूर्वक उत्पादित वस्तु (उपयोगिता व कला मूल्य सहित) का श्रम मूल्य निर्धारण प्रक्रिया एवं इसी आधार पर वस्तु विनिमय होना।
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श्रवण |
shravan |
223 |
- सुनने वाली क्रिया। सुनना ही पढ़ना है।
- परम सत्य रूपी सहअस्तित्व कल्पना में होना, वाचन व श्रवण भाषा के अर्थ रूप में सत्य स्वीकार होना।
- भाषा का अर्थ चित्रित होना - पठन के आधार पर।
- सत्य भास होना।
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श्री |
shree |
223 |
- अभाव का अभाव, भाव, समृद्धि।
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श्रुति |
shruti |
223 |
- अर्थ संगत शब्दों का श्रवण, उच्चारण।
- यथार्थ जीवन दर्शन पूर्ण अभिव्यक्ति।
- यथार्थ जानकारी का भाषाकरण।
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श्रुतिमान |
shrutiman |
223 |
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श्रेय |
shrey |
223 |
- जागृति की ओर गति व प्रमाण।
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श्रेयवादी |
shreyvadi |
223 |
- जागृति सहज अभिव्यक्ति, संप्रेषणा, प्रकाशन सहज संवाद।
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श्रेष्ठ |
shreshth |
223 |
- मानवीयता अमानवीयता की अपेक्षा में श्रेष्ठ, देवमानवीयता मानवीयता से श्रेष्ठ, दिव्यमानवीयता देवमानवीयता से श्रेष्ठ।
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श्रेष्ठतम |
shreshthatam |
223 |
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श्रृंखला |
shrinkhala |
223 |
- कतार, एक से एक जुड़ी हुई कड़ियाँ।
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श्रृंखला द्वय |
shrinkhala dway |
224 |
- प्रवर्तन = क्लेष परिपाकात्मक, हर्ष परिपाकात्मक मूल प्रवृत्तियाँ।
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