स्थूल |
sthul |
211 |
- अनेक अणु का संंगठित पिण्ड।
- परमाणु, अणु रचना, प्राण कोशाओं से रचित रचना।
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स्थूल पिंड |
sthul pind |
211 |
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स्नातक |
snatak |
211 |
- सत्य सहज वैभव में समझ को प्रमाणित करने हेतु सत्यापन।
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स्नायु |
snayu |
211 |
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स्नेह |
sneh |
211 |
- परस्पर समान अभ्युदय, नि:श्रेयस अर्थात् जागृति का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए सहज स्वीकृति और प्रतिज्ञा।
- परस्परता में एक सा जागृति और समाधान सहज अपेक्षा प्रमाण।
- न्यायपूर्ण व्यवहार में निर्विरोधिता।
- संतुष्टि में, से, के लिए स्वयं स्फूर्त मिलन, निरंतरता।
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स्पर्श |
sparsh |
211 |
- परस्पर छूने का स्वीकृति संवेदना।
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स्पर्शेन्द्रिय |
sparshendriya |
211 |
- छूने से स्वीकृति-अस्वीकृति क्रिया संपन्न बोध होना, पहचान में आना।
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स्पष्ट ज्ञान |
spasht gyan |
211 |
- स्थिति सत्य, वस्तुस्थिति सत्य एवं वस्तुगत सत्य का ज्ञान।
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स्पंदन |
spandan |
211 |
- श्वसन क्रिया, मधुरिम, सार्थक, सउद्देश्य गति प्राण कोषाओं सहज कार्यगति विधि।
- संकोचन-प्रसारण क्रिया।
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स्पंदनशील |
spandanshil |
212 |
- सांस लेने की क्रिया संपन्न होना।
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स्फुरण |
sphuran |
212 |
- ज्ञान, विज्ञान, विवेक पूर्वक निश्चियन सहित समाधान सहित किया गया कार्य व्यवहार परंपरा।
- विकास के लिए प्राप्त प्रेरणा।
- अनुभव, प्रमाण, बोध, संकल्प, चिंतनपूर्वक प्रमाणित करने के अर्थ में किया गया सम्पूर्ण प्रयास, प्रवृत्तियाँ समाधान है। (के अर्थ में)।
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स्फूर्ति |
sphurti |
212 |
- गति के साथ।
- शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध इंद्रियों के तृप्ति के लिए प्रयत्न, कायिक, वाचिक, मानसिक रूप में।
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स्मरण |
smaran |
212 |
- पूर्णता के अर्थ में शब्दों की स्वीकृति आवश्यकतानुसार प्रयोग करने की क्रिया।
- चित्रण सहज-स्मृति क्रिया।
- आशा, विचार, इच्छा, घटना ज्ञानेन्द्रिय सहज स्मरण।
- अनुभव, स्तुति सहज स्मरण।
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स्मारक |
smarak |
212 |
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स्मरणार्थ |
smaranarth |
212 |
- बीती हुई घटनाएं बारंबार मन में आना।
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स्मृति |
smriti |
212 |
- भूतकाल की घटनाओं का विधिवत् सुनने,बारंबार दुहराने की क्रिया।
- जाने हुए की आवश्यकतानुसार अभिव्यक्ति।
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स्व (बोध) |
sva (bodh) |
212 |
- होना, त्व सहित आचरण रूप में होना, स्वयं का बोध, जागृत जीवन रूप में जीवन एवं (भौतिक-रासायनिक रचना रूप में) शरीर का बोध पूर्वक प्रमाण।
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स्व स्वरूप |
sva svarup |
212 |
- स्वयं का रूप, जीवन रूप जीवन वैभव-जीवन महिमा-जीवन प्रयोजन सहज स्पष्टता प्रमाण।
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स्वकीयत्व |
svakiyatva |
212 |
- अनन्यता पूर्वक प्रेम, स्नेह, वात्सल्य अभिव्यक्ति।
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स्वचालित |
svachalit |
213 |
- जीव संसार, मानव संसार, भूचर, जलचर, खेचर।
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