संयोजित |
sanyojit |
207 |
- पूर्णता के अर्थ में योजना प्रस्ताव।
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संरचना |
sanrachana |
207 |
- संवेदनशील रचना अर्थात् आशा, विचार, इच्छा पूर्वक की गई रचना।
- संवेदनशीलता पूर्वक व्यवस्था के अर्थ में की गई रचनाएं।
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संरक्षक |
sanrakshak |
208 |
- हर संतान के लिए माता-पिता संरक्षक पोषक।
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संरक्षण |
sanrakshan |
208 |
- विकास के क्रम में निर्बाधता।
- परंपरा के रूप में बनाए रखना।
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संरक्षित |
sanrakshit |
208 |
- पूर्णता के अर्थ में परम्परा के रूप में गतिशील।
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संरक्षणात्मक |
sanrakshanatmak |
208 |
- सर्व संरक्षण के अर्थ में सार्वभौम व्यवस्था।
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संवर्तन |
samvartan |
208 |
- सम्यकता की ओर गतिशीलता और परिमार्जन एवं परिपूर्णता के लिए प्राप्त संकेतों का अनुसरण।
- पूर्णता के अर्थ में वर्तमान।
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संवहन |
samvahan |
208 |
- पूर्णता के प्रति वेदना सहित गति, वहन करना।
- पूर्णता के अर्थ में विचार संपदा का वहन।
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संवाद |
samvad |
208 |
- पूर्णता के अर्थ में सूत्र व्याख्या।
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संविधान |
samvidhan |
208 |
- मानव के लिए : प्रामाणिकता पूर्ण अनुभव बल विवेक और विज्ञान सम्मत विचार शैली। मानवीयता पूर्ण आचरण पद्धति सहित मूल्य मूलक और लक्ष्य मूलक प्रणाली समेत, तन, मन, धन रुपी अर्थ का सदुपयोग और सुरक्षात्मक नीति सम्पन्न जीने की कला के सूत्र और व्याख्या सम्मत प्रक्रिया का प्रावधान।
- निपुणता, कुशलता, पाण्डित्यपूर्ण कार्य करने, न्यायपूर्ण व्यवहार करने, प्रामाणिकता व समाधान पूर्ण वा‘मय प्रणाली केे रुप में प्रबुद्धता और संप्रभुता को नियंत्रित, संयत, समृद्ध करने-कराने के रूप में प्रभुसत्ता सूत्र और व्याख्या सम्मत प्रक्रिया का प्रावधान।
- मानवीय आचरण, व्यवहार, विधि, विनिमय प्रक्रिया, उत्पादन बाध्यता की सूत्र और व्याख्या रूपी संहिता।
- पूर्णता सहज प्रमाण परम्परा के अर्थ में प्रस्तुत विधान सूत्र व्याख्या।
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संवेग |
samveg |
208 |
- संयोग से प्राप्त गति जैसे- पदार्थावस्था से प्राणावस्था की गति एक रासायनिक कोष रस निश्चित ऊष्मा का दबाव संयोगिक परिवर्तन है।
- जीवावस्था के जीव और ज्ञानावस्था के मनुष्य की गति जो जड़-चैतन्य के संयुक्त साकार रूप में हो जो रासायनिक रचना व परमाणु में विकास का संयोग है।
- रासायनिक गठन स्वयं एक स्वयम् स्फूर्त संयोग है।
- ऐषणाओं के प्रति उत्कंठा और संयोग से प्राप्त वेग, सरलता सहित एवं अभिमान से रहित विचार व्यवहार पद्धति।
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संवेगी |
samvegi |
209 |
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संवेदनशीलता |
samvedanashilata |
209 |
- ज्ञानेन्द्रियों का कार्य व्यवहार में प्रयोग।
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संवेदना |
samvedana |
209 |
- सच्चाई, विकास व जागृति के प्रति वेदना अर्थात् अपेक्षा (जिज्ञासा )।
- जाना हुआ को मानने के लिए, पहचाना हुआ को निर्वाह करने के लिए स्वयं स्फूर्त जीवन सहज प्रक्रिया।
- अव्यवस्था के प्रति दुखित होना और उस समस्या को दूर करने के लिए तत्काल तैयार होना।
- शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंधेन्द्रियों का प्रभाव।
- सभी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा बाह्य संकेतो को ग्रहण करने की क्रिया।
- स्वयं के लिए जो घटनाएँ वेदना के कारण है; वे ही दूसरों के लिए भी हैं, ऐसी स्वीकृति क्षमता।
- विकास व जागृति के प्रति तत्परता।
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संवेदित |
samvedit |
209 |
- ज्ञानेन्द्रियों में पाये जाने वाले सूचना।
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संसार |
sansar |
209 |
- संपूर्णता व पूर्णता की ओर गतिशील प्रकृति।
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संस्कार |
sanskar |
209 |
- जीवन में पूर्णता की अपेक्षा में कारित एवं स्वीकृत गुणात्मक प्रस्थापनाऐं।
- पूर्णता की अपेक्षा मानव के द्वारा की गई कृति जिसकी परंपरा नाम संस्कार, जाति संस्कार (मनुष्य जाति) कर्म संस्कार एवं धर्म संस्कार के रूप में हो।
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संस्कृति (स्वरूप) |
sanskriti (svarup) |
209 |
- पूर्णता के अर्थ में की गई कृतियाँ, दर्शन, वाद, शास्त्र, मानवीयतापूर्ण व्यवस्था में भागीदारी।
- पूर्णता की परंपरा, मानवीयता पूर्ण आचरण।
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संस्था |
sanstha |
210 |
- पूर्णता के अर्थ में सूत्र व्याख्या सहित कार्यक्रमों को सम्मिलित रूप में स्वीकारना।
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संस्थान |
sansthan |
210 |
- पूर्णता के अर्थ में चिन्हित स्थान में नियंत्रित रहना।
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