मण्डल समूह परिवार सभा |
mandal samuha parivara sabha |
140 |
- दस मण्डल सभा में, से निर्वाचित दस सदस्यों का गठन पाँच समितियों के साथ कार्यक्रम।
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मति |
mati |
140 |
- मान्य (विधि विहित) कर्म, विचार, शास्त्र।
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मद |
mada |
140 |
- असत्यता के प्रति मान्यता की पराकाष्ठा (उन्माद)।
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मध्यस्थ |
madhyasth |
140 |
- सम विषम का नियंत्रण। सम विषम से अप्रभावित।
- अस्तित्व में संपूर्ण आवेशों को सामान्य बनाने और आवेशों से निष्प्रभावित रहने का पूर्ण वैभव।
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मध्यस्थ ऊर्जा |
madhyastha urja |
141 |
- व्यापक वस्तु अनुभव सहज प्रमाण।
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मध्यस्थ क्रिया |
madhyastha kriya |
141 |
- जीवन में अविभाज्य रूप में कार्यरत आत्मा, मध्यांश।
- स्वभाव गति सम्पन्नता सहित स्थिति एवं गति।
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मध्यस्थ गुण |
madhyastha gun |
141 |
- व्यवस्था व व्यवस्था में भागीदारी रूपी गति, स्वभाव गति की निरंतरता।
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मध्यस्थ जीवन |
madhyastha jeevan |
141 |
- द़ृष्टा पद प्रतिष्ठा संपन्न जागृत जीवन।
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मध्यस्थ दर्शन |
madhyastha darshan |
141 |
- सह अस्तित्व में मध्यस्थ सत्ता, मध्यस्थ क्रिया, मध्यस्थ बल, मध्यस्थ जीवन का अध्ययन एवं सूत्र व्याख्या।
- (तात्विक रूप में) मध्यस्थ सत्ता, मध्यस्थ क्रिया, मध्यस्थ बल, मध्यस्थ शक्ति, मध्यस्थ जीवन का सूत्र व व्याख्या। (अ) मध्यस्थ:-अस्तित्व में संपूर्ण आवेशों को सामान्य बनाने और आवेशों से निष्प्रभावित रहने का पूर्ण वैभव। (ब) दर्शन:-दर्शक द़ृष्टि के द्वारा स्वीकार व प्रतिबद्धता पूर्वक, द़ृश्य के साथ किया गया परावर्तन व प्रत्यावर्तन क्रिया।
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मध्यस्थ निर्णय |
madhyastha nirnaya |
141 |
- सत्य सहज विधि से समाधानपूर्ण निर्णय, न्यायपूर्ण निर्णय।
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मध्यस्थ बल |
madhyastha bal |
141 |
- प्रत्येक परमाणु में मध्यांश के रूप में कार्यरत गठन सूत्र और परस्पर अंशों की निश्चित दूरी को बनाए रखने में नित्य सहायक क्रिया।
- सम विषम आवेशों को स्वभाव गति में प्रतिष्ठित करने का बल।
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मध्यस्थ व्यवहार |
madhyastha vyavahar |
141 |
- न्याय जागृतिपूर्ण व्यवहार, समाधानपूर्वक व्यवहार।
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मध्यस्थ विचार |
madhyastha vichar |
141 |
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मध्यस्थ सत्ता |
madhyastha satta |
141 |
- प्रत्येक इकाई के सभी ओर दिखाई पड़ने वाली ऊर्जा।
- जड़ चैतन्यात्मक प्रकृति में संपूर्ण आवेशों से निष्प्रभावित रहने वाली ऊर्जा।
- एक दूसरे के बीच दिखाई पड़ने वाली ऊर्जा।
- व्यापक वस्तु।
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मध्यस्थ शक्ति |
madhyastha shakti |
141 |
- प्रत्येक इकाई में घटना के रूप में प्राप्त सम-विषम आवेशों को सामान्य बनाने के लिए स्वयं स्फूर्त कार्य गति। नोट - प्रत्येक इकाई में स्थिति में बल व गति में शक्ति अविभाज्य है।
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मध्यांश |
madhyansh |
142 |
- परमाणु के मध्य बिंदु में स्थित अंश। जीवन में आत्मा।
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मधुरिम |
madhurim |
142 |
- बोधगम्य, अवगत होने की विधि।
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मन्द इच्छा |
mand iichchha |
142 |
- आवश्यकीय उपलब्धि के प्रति प्रयास शिथिलता।
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मन |
man |
142 |
- जीवन में चयन आस्वादन क्रिया। चैतन्य परमाणु में अथवा जीवन परमाणु में निहित चतुर्थ परिवेशीय अंश की क्रियाशीलता।
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मनन |
manan |
142 |
- पूर्वानुक्रम को स्वीकार करना। मन वृत्ति का, वृत्ति चित्त का, चित्त बुद्धि का, बुद्धि आत्मा का, आत्मा अस्तित्व सहज संकेतों को स्वीकार करना।
- अध्ययन विधि में न्याय, धर्म, सत्य रूपी वांछित वस्तु देश एवं तत्व में चित्त-वृत्तियों का संयत होना पाया जाता है। संयत होने पर पूर्णाधिकार के अनंतर श्रवण के सारभूत भाग अथवा वांछित भाग में चित्त-वृत्तियों का केन्द्रिभूत होना मनन है। मनन का तात्पर्य निष्ठा एवं ध्यान से है। तीव्र इच्छा।
- श्रवण-मनन प्रक्रिया : शास्त्राभ्यास, व्यवहाराभ्यास, कर्माभ्यास। निदिध्यासन, प्रतीति, साक्षात्कार पूर्वक चिंतनाभ्यास।
- निरीक्षण, परीक्षण, सर्वेक्षण।
- न्याय, धर्म, सत्य द़ृष्टि सहज तुलन, आभास।
- विवेकात्मक अध्ययन - जीवन का अमरत्व एवं शरीर का नश्वरत्व , व्यवहार के नियम के सहित न्यायपूर्ण व्यवहार का अनुसरण , अनुकरण I धर्मपूर्ण विचार में प्रवृत होना , इच्छा , विचार इनमें स्थापित होना I
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