मनरसग्राही |
manarasagrahi |
144 |
- मन में मूल्यों का रसास्वादन।
- शरीर से सम्पन्न होने वाली समस्त क्रियाकलापों का संचालन मन ही मेधस द्वारा करता है।
- मन सुख के लिए आतुर, कातुर, आकांक्षित एवं प्रतीक्षित है।
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मनस्वी |
manasvi |
143 |
- जागृत जीवन मानसिकता सहज प्रमाण सम्पन्नता।
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मनाकार |
manakaar |
143 |
- चयन और आस्वादन के अनुरूप-प्रतिरूप प्रदान करने की क्रिया।
- कल्पनाशीलता को आकार प्रदान करने की क्रिया।
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मनाकार को साकार |
manakaar ko sakaar |
143 |
- कुशलता, निपुणता व पाण्डित्य सहित प्राकृतिक ऐश्वर्य पर उपयोगिता मूल्य एवं सुन्दरता मूल्य को स्थापित करने के रूप में, स्थापित संबंधों में निहित स्थापित मूल्यों का अनुभवपूर्वक शिष्टता को प्रकाशित करने में है।
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मनाकृति |
manakriti |
143 |
- प्राकृतिक वस्तुओं में श्रम नियोजन पूर्वक उपयोगिता मूल्य कला मूल्य को स्थापित करना।
- योग वियोग संयोग से प्राप्त जानकारी सहित पुन: प्रमाणित करने का कल्पना एवं प्रयास।
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मनाश्रित |
manashrit |
143 |
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मनुष्य की स्वभाव गति |
manushya ki svabhav gati |
143 |
- मानवीयतापूर्ण द़ृष्टि, स्वभाव एवं विषय में प्रवृत्त तथा निष्ठान्वित होना।
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मनुष्येतर प्रकृति |
manushyetar prakriti |
143 |
- जीवावस्था, प्राणावस्था, पदार्थावस्था।
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मनोनीत |
manoneet |
143 |
- स्वविवेक से निर्णय पूर्वक जिम्मेदारियों को सौंपने की क्रिया।
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मनोनुकूल |
manonukool |
143 |
- जागृतिपूर्ण विधि विधान प्रमाण परंपरा।
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मनोबल |
manobal |
143 |
- निश्चित मानसिकता समाधान संपन्न मानसिकता।
- केन्द्रीयकृत मन:स्थिति।
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मनोमय कोष |
manomaya kosh |
143 |
- जीवन में चयन और आस्वादन करने वाले अंग।
- चयन करने वाली अथवा चुनाव करने वाली अंग को मनोमय कोष संज्ञा है।
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मनोविज्ञान |
manovigyan |
143 |
- मानव विकसित चेतना के अर्थ में किया गया मानसिक प्रक्रिया को सत्य में भास, आभास, प्रतीति और अनुभूति क्रम में पहचानना।
- मानव मानस को मनाकार को साकार करने वाले मन: स्वस्थता के आशावादी व प्रमाणित करने वाले के रूप में पहचानना।
- मानव मानस को स्वराज्य और स्वतंत्रता के अर्थ में कल्पनाशीलता और कर्म स्वतंत्रता को पहचानना।
- प्रत्येक मानव में (परिष्कृति पूर्ण) संचेतना को जानने, मानने, पहचानने और निर्वाह करने के रूप में प्रमाणित करना।
- प्रत्येक मानव में जीवन वैभव सहज चयन व आस्वादन, तुलन और विश्लेषण, चित्रण व चिंतन, बोध व संकल्प और अनुभव एवं प्रामाणिकता के रूप में पहचानना।
- मानव मानसिकता में मानवत्व को, मानवीय द़ृष्टि यथा न्याय, धर्म, (समाधान) सत्य, मानवीय विषय यथा पुत्रेषणा, वित्तेषणा और लोकेषणा एवं मानवीय स्वभाव यथा धीरता, वीरता, उदारता, दया, कृपा, करूणा को व्यवस्था के रूप में पहचानना।
- मानव में निषेध को अमानवीय द़ृष्टि यथा प्रिय, हित, लाभ, अमानवीय विषय-आहार, निद्रा, भय, मैथुन, अमानवीय स्वभाव यथा हीनता, दीनता क्रूरता को अव्यवस्था के रूप में पहचानना।
- जीवन जागृति संपन्न मानसिकता का अध्ययन व्यवस्था के रूप में पहचानना।
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मनोवेग |
manoveg |
143 |
- जागृत मानसिकता का गतिविधि।
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मन: स्वस्थता |
manah svasthata |
144 |
- जागृति, समाधान, अनुभव मूलक मानसिकता, सर्वतोमुखी समाधान सहज अभिव्यक्ति।
- जीवन सहज बलों में संगीतीकरण ही मन:स्वस्थता है।
- सुख, शांति, संतोष, आनंद की अनुभूति ही मन:स्वस्थता है।
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मन:स्वस्थता के आशावादी |
manahsvasthata ke ashavadi |
144 |
- सुख, शांति, संतोष एवं आनंद की अपेक्षा मानव में है, जिसका प्रत्यक्ष रूप बौद्धिक समाधान एवं भौतिक समृद्धि है।
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ममत्व |
mamatva |
144 |
- मानवत्व सहज विपुलीकरण मानसिकता, मानवीयता का लोकव्यापीकरण मानसिक।
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ममता |
mamta |
145 |
- पोषण प्रधान संरक्षण क्रिया।
- अपनत्व की पराकाष्ठा पूर्वक संरक्षण पोषण कार्य।
- स्वयं की प्रतिरूपता की स्वीकृति, उसकी निरंतरता।
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मरणशील |
maranshil |
145 |
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मर्म ज्ञान |
marm gyan |
145 |
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