मर्यादा |
maryada |
145 |
- जागृत मानव परंपरा विधि से प्रमाणित रहना।
- मर्म ज्ञान सहित किया गया कार्य व्यवहार।
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मल |
mal |
145 |
- परधन, परनारी। परपुरुष एवं परपीड़ात्मक कार्य व्यवहार एवं विचारों का परिणाम (त्याज्य)।
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महत् तत्व |
mahat tatva |
145 |
- शाश्वत रूप में अस्तित्व ही सहअस्तित्व।
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महत्व |
mahatva |
145 |
- भाव में जो उपयोगपूर्ण अनिवार्यता है वही उसका महत्व है।
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महत्वाकांक्षा |
mahatvakanksha |
145 |
- दूरश्रवण, दूरदर्शन, दूरगमन वस्तुओं को पाने व उपयोग करने की प्रवृत्ति, अपेक्षा, चेष्टा, प्राप्ति।
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महत्ता |
mahatta |
145 |
- मौलिकता सहज निरंतरता।
- पूर्णता।
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महाकारण |
mahakaran |
145 |
- व्यापक वस्तु।
- सम्पूर्ण अस्तित्व जिस सत्ता (ऊर्जा) में नित्य वर्तमान और संरक्षित है।
- जिसका अस्तित्व सापेक्ष न हो। यही निरपेक्ष शक्ति है।
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महामांगल्य |
mahamangalya |
145 |
- सहअस्तित्व में अनुभूति, भ्रम मुक्ति।
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महाभाव |
mahabhav |
145 |
- परम सत्य में अनुभव प्रमाण।
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महावकाश |
mahavakash |
145 |
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महाशक्ति |
mahashakti |
145 |
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महिमा |
mahima |
145 |
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महिमा मण्डित |
mahima mandit |
145 |
- जागृतिपूर्वक अभिव्यक्ति संप्रेषणा में पारंगत वैभव।
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महंत |
mahant |
146 |
- महिमा संपन्न व्यक्ति, प्रामाणिकतापूर्ण जागृति सहित प्रमाण प्रस्तुत करने वाला।
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मंतव्य |
mantavya |
146 |
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मांगल्य |
mangalya |
146 |
- जीवन मंगल, उदय मंगल, समाधान मंगल, जागृति मंगल, अनुभव मंगल।
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माध्यम |
maadhyam |
146 |
- अधिक शक्ति और बल, कम शक्ति और बल के माध्यम से प्रमाणित होना।
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मात्सर्य |
matsarya |
146 |
- दूसरे के ह्रास एवं पतन की उत्कट कामना।
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माता |
mata |
146 |
- ममता प्रेम वात्सल्य पोषण सहज अभिव्यक्ति संप्रेषणा।
- अनन्य और अनन्यता पूर्वक स्वीकृति।
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मात्रा |
matra |
146 |
- रूप, गुण, स्वभाव, धर्म का संयुक्त स्वरूप।
- मात्रा = क्रिया = श्रम + गति + परिणाम।
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