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मानव राज्यनीति manav rajyaniti 148
  • तन, मन, धन की सुरक्षा।
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मानव वाद manav vaad 148
  • मानवीयता पूर्ण व्यवहार व व्यवस्था संबंधी चर्चा संवाद।
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मानव व्यवहार दर्शन manav vyavahar darshan 148
  • मानवत्व सहित व्यवहार का अध्ययन, मानवीय व्यवहार सूत्र व्याख्या सहज अध्ययन, अखण्डता सार्वभौमता सहज सूत्र व्याख्या का अध्ययन।
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मानव लक्ष्य manav lakshya 148
  • समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व सहज प्रमाण।
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मानव सहज manav sahaj 148
  • मानव के सार्वभौम लक्ष्य रूपी समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में प्रामाणिकता के अर्थ में किया गया सम्पूर्ण क्रिया-प्रक्रिया प्रणाली व पद्धति।
  • मानव का लक्ष्य = जीवन जागृति।
  • भ्रम से मुक्ति।
  • जागृति पूर्ण प्रमाण। सहअस्तित्व सहज प्रतिरूप होने रहने का प्रमाण।
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मानव सहज आचार संहिता manav sahaj aachaar sanhita 148
  • सर्वमानव में सुख शांतिपूर्वक जीने की आशा स्पष्ट है जिसके लिए मूल्य चरित्र नैतिकता सहित अखण्डता सहज समाज, सार्वभौमता सहज व्यवस्था में भागीदारी के अर्थ में स्पष्ट है। सार्वभौमता सहज प्रमाण परंपरा में हर परिवार समाधान समृद्धिपूर्वक जीना।
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मानव संचेतना manava sanchetna 149
  • मन: स्वस्थता को प्रमाणित करने का ज्ञान विवेक विज्ञान।
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मानव संस्कार manav sanskar 149
  • तात्विक रूप में - जानना, मानना, पहचानना, निर्वाह करना।
  • व्यवहार रूप में - मानवीयतापूर्ण आचरण, व्यवहार, व्यवसाय, विनिमय का बोध सहित प्रकाशन संप्रेषणा में निष्ठा सम्मत परंपरा।
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मानव सम्पर्क manav sampark 149
  • व्यवस्था के अर्थ में संबंध के रूप में पहचानने की विधि।
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मानव का सार्वभौम लक्ष्य manav ka sarvabhaum lakshya 149
  • प्रामाणिकता, समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व।
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मानवत्व manavatva 149
  • परिवार व्यवस्था और सार्वभौम रूपी समग्र व्यवस्था में भागीदारी, मानवीयता पूर्ण आचरण मूल्य चरित्र नैतिकता प्रमाण; अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान, मानवीयतापूर्ण आचरण ज्ञान विवेक विज्ञान सम्मत कार्य व्यवहार प्रमाण।
  • मानवीय द़ृष्टि, मानवीय विषय, वृत्ति और निवृत्ति, मानवीय तथा अतिमानवीय स्वभाव की अभिव्यक्ति, संप्रेषणा और प्रकाशन। मानवीयता पूर्ण जीवन, अतिमानवीय वैभव |
  • मानव सहज अस्तित्व में जीवन मूल्य, मानव मूल्य, स्थापित मूल्य, शिष्ट मूल्य तथा वस्तु मूल्य को जानने-मानने, पहचानने-निर्वाह करने और सम्प्रेषित, प्रकाशित, अभिव्यक्त करने की क्रिया।
  • अस्तित्व में मानव अनुभव मूलक पद्धति से विचार शैली और जीने की कला।
  • मनुष्य व्यवहार में सामाजिक, व्यवसाय में स्वावलम्बी, विचार में समाधानित, अनुभव में प्रामाणिकता को अभिव्यक्त, संप्रेषित, प्रकाशित करने की क्रिया।
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मानवत्व पूर्ण मानव पंरपरा manavatva purn manav parampara 149
  • मानवीयता अर्थात् विकसित चेतना पूर्ण शिक्षा संस्कार, राज्य व्यवस्था, संविधान व आचरण में सामरस्यता पूर्ण अविभाज्य वर्तमान।
  • मानवीय संस्कृति, सभ्यता, विधि, व्यवस्था का अविभाज्य वर्तमान क्रिया।
  • द़ृष्टा (मानव) द़ृश्य (मानव सहित सम्पूर्ण अस्तित्व) दर्शन (जागृति पूर्ण अनुभव बल, विचार शैली, जीने की कला)।
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मानवत्व पूर्ण सभ्यता manavatva purn sabhyata 150
  • मानव सम्बन्धों व नैसर्गिक संबंधों और उनमें निहित मूल्यों की पहचान के लिए निर्वाह क्रियाकलाप।
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मानवत्व पूर्ण संस्कृति manavatva purn sanskriti 150
  • स्वधन, स्वनारी। स्वपुरुष व दयापूर्ण कार्य रूपी आचरण, विचार, विन्यास।
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मानवीय आचरण manaviya aacharan 150
  • स्वधन, स्वनारी। स्वपुरुष दयापूर्ण कार्य व्यवहार विन्यास। सम्बन्धों की पहचान, मूल्यों का निर्वाह, तन, मन, धन रूपी अर्थ की सुरक्षा और सदुपयोग।
  • मूल्य, चरित्र, नैतिकता का अविभाज्य वर्तमान रूप में किया गया सम्पूर्ण कार्य, व्यवहार, विचार विन्यास।
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मानवीय द़ृष्टि manaviya drishti 150
  • न्यायान्याय, धर्माधर्म, सत्यासत्य की निर्णयात्मक क्षमता।
  • न्याय, धर्म, सत्य द़ृष्टि की क्रियाशीलता।
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मानवीय प्रवर्तन manaviya pravartan 150
  • मूल्य व मूल्यांकन।
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मानवीय प्रवृत्ति manaviya pravritti 150
  • लक्ष्य मूलक, मूल्य मूलक मानसिकता।
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मानवीय राष्ट्र manaviya rashtra 150
  • मानवीयता पूर्ण आचार संहिता रूपी संविधान का प्रभाव क्षेत्र और उसकी विशालता।
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मानवीय विषय manaviya vishay 150
  • पुत्रेषणा, वित्तेषणा, लोकेषणा।
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