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मूल्यांकन mulyankan 154
  • विश्वास पूर्वक परस्पर मूल्यों का पहचान प्रयोजनों के अर्थ में आवश्यकता सार्थकता।
  • जागृति क्रम में मूल्यों को पहचानने की क्रिया।
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मूल्यांकनशील mulyankanshil 154
  • हर मानव दूसरे का मूल्यांकन करने का क्रम।
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मूहर्त muhurta 154
  • घटना समय।
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मोह moh 154
  • मुग्धता (लाभोन्माद, कामोन्माद, भोगोन्माद)।
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मोक्ष moksha 154
  • मल, आवरण, विक्षेप से मुक्ति।
  • भ्रम मुक्ति।
  • चैतन्य इकाई जड़ की आस्वादन अपेक्षा से मुक्त होना एवं प्रेममयता में अथवा व्यापक सत्ता में अनुभूत होना ही मोक्ष है।
  • जिसमें सुख स्वभाव है उसका अनुभव ही मोक्ष है।
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मौन maun 154
  • समाधान संपन्नता, समस्याओं से मुक्ति।
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मौलिक अधिकार maulik adhikar 154
  • मानवीयता पूर्ण आचरण व्यवहार कार्य, व्यवस्था में भागीदारी सहज विधि से, नियति क्रमानुगत प्रमाण परंपरा विधि।
  • मानवीयता में स्वत्व, स्वतंत्रता एवं अधिकार।
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मौलिक पद्धति maulik paddhati 154
  • तीस मूल्यों की प्रकाशनकारी पद्धति जो चार जीवन मूल्य, छ: मानव मूल्य, नौ स्थापित मूल्य, नौ शिष्ट मूल्य और दो वस्तु मू्ल्य के रूप में है।
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मौलिक विधान maulik vidhan 154
  • मानवीय आचार संहिता रूपी संविधान (पूर्णता के अर्थ में विधान)।
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मौलिक स्वरूप maulik svarup 154
  • सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी जागृति सहित प्रमाण परंपरा।
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मौलिकता maulikta 154
  • स्थिति में धर्म, गति में स्वभाव संपन्न क्रिया इकाईत्व।
  • निश्चित मूल्य संपन्नता।
  • मौलिकता ही इकाई का स्वभाव, स्वभाव ही आचरण है।
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मेधस medhas 155
  • चैतन्य क्रिया की संकेत ग्रहण करने योग्य क्षमता, योग्यता, पात्रता सहित सप्राण अंग।
  • शरीर रचना में से वह रचना भाग जिस पर जीवन शक्तियों का संकेत प्रसारित होता है। फलस्वरूप शरीर में जीवन्तता प्रमाणित होती है।
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मेधा medha 155
  • जागृति सहज सत्य वैभव, स्मृति का धारक वाहक क्रिया।
  • विवेक व विज्ञान सम्मत साक्षात्कार सहित स्वीकार किया।
  • कला को साक्षात्कार करने वाली चिंतन क्रिया।
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मेधावी medhavi 155
  • अनुभव मूलक प्रमाण बोध सम्पन्न जीवन और प्रमाण परंपरा।
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मेरा mera 155
  • मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि।
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मैं main 155
  • चैतन्य इकाई का मध्यांश (आत्मा) सहित जीवन।
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मंगल कामना mangal kamna 155
  • धरती स्वर्ग होने, मानव देवता होने, मानव धर्म सफल होने, सदा-सदा सर्वशुभ होने का अपेक्षा सहज अभिव्यक्ति।
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मंगल कार्यक्रम mangal karyakram 155
  • सर्वशुभ कार्यक्रम, सार्वभौम व्यवस्था सहज भागीदारी की अभिव्यक्ति, संप्रेषणा एवं प्रकाशन, अस्तित्व में जागृति सहज व्यवस्था मूलक शिक्षा, परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था और मानवीयतापूर्ण आचरण तथा जीने की कला।
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मंत्र mantra 155
  • सभी सार्थक शब्द एवं वाक्य मंत्र है। शब्द के अर्थ का तद्रूपता पूर्वक स्मरण करने के अभ्यास से उसका अर्थ एवं स्वभाव गम्य होता है।
  • जागृति की ओर गति हेतु नियंत्रणात्मक शब्द ही मंत्र है।
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मंत्रणा mantrana 155
  • एक दूसरे के बीच समाधान के अर्थ में प्रेरणा पाने, प्रेरणा देने का क्रियाकलाप।
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