योग लक्षित कर्म |
yog lakshit karm |
157 |
- पूर्ण विकास के क्रम में, से, के लिए की गई प्रक्रिया।
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योग-संयोग विधि |
yog-sanyog vidhi |
157 |
- चाह कर न चाहकर मिलन होते रहना नियति विधि से होने के आधार पर।
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योगशक्ति |
yogshakti |
157 |
- योग संयोग से परिवर्तित बल और कार्यक्रम।
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योग्य |
yogya |
157 |
- अर्हता संपन्न, पात्रता संपन्न प्रमाण।
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योग्यता |
yogyata |
157 |
- अभिव्यक्ति, संप्रेषणा, प्रकाशन सहज प्रमाण संपन्नता।
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योगानुभूति |
yoganubhuti |
157 |
- प्राप्त योग में अनुभव, सत्ता में संपृक्त प्रकृति सहज सहअस्तित्व में अनुभव, व्यापक वस्तु में अनुभव, प्रत्येक एक-एक व्यापक वस्तु में नित्य वर्तमान होने में, से, के लिए अनुस्यूत प्रमाण।
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योगी |
yogi |
157 |
- मिलन के अनन्तर गुणात्मक परिवर्तन का प्रमाण संपन्न व्यक्ति, जागृत मानव और प्रमाण सहित होना रहना।
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योजना |
yojna |
157 |
- सर्वशुभ फल परिणाम के लिए किए जाने वाले कार्यों का निश्चयन और प्रक्रिया का निश्चयन।
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योजित |
yojit |
157 |
- क्रियान्वयन के पहले निश्चित।
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यौगिक |
yaugik |
157 |
- भिन्न-भिन्न कम से कम दो प्रजाति की वस्तुऐं मिलकर अपने-अपने आचरणों को त्यागकर दोनों से भिन्न प्रकार के आचरण को प्रमाणित करना।
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यंत्र |
yantra |
157 |
- यत्न पूर्वक मनुष्य द्वारा चलने वाला।
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यंत्रणा |
yantrana |
158 |
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यांत्रिक |
yantrik |
158 |
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यांत्रिकता |
yantrikata |
158 |
- संवेदनशीलता में, से, के लिए जीना (सभी यंत्र है)।
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रचना |
rachna |
158 |
- अणुओं से भौतिक रचना, रासायनिक रचना, प्राणकोषाओं से रचना, भौतिक-रासायनिक विधि से, शिल्पकारिता से।
- पदार्थ की अवधि।
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रचनाविधि |
rachnavidhi |
158 |
- प्राण सूत्रों में निहित रचना विधि, शिल्पकारिता मानव मानसिकता में निहित।
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रचित |
rachit |
158 |
- मानवीयता पूर्ण विधि से किया गया रचना सहज वर्तमान।
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रजोगुण |
rajogun |
158 |
- सम गुणों (उद्भव में प्रयुक्त गुण) को रजोगुण की संज्ञा है।
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रति |
rati |
158 |
- अनुभव सहज प्रमाण निरंतरता के रूप में।
- सामरस्यतापूर्ण मिलन की निरंतरता।
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रत्यात्मक रति |
ratyatmak rati |
158 |
- अनुभव मूलक अभिव्यक्ति सहज निरंतरता अनुभव, सहअस्तित्व में अनुभव उसकी निरंतरता।
- वियोग विहीन रति, प्रेमानुभूति, स्थापित मूल्यानुभूति योग्य क्षमता।
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