राष्ट्रीय लक्ष्य |
rashtriya lakshya |
161 |
- चारों अवस्था व पद सहज उपयोगिता पूरकता विधि से संतुलन प्रमाण परंपरा।
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राष्ट्रीय विचार |
rashtriya vichar |
161 |
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राष्ट्रीय वैभव परंपरा |
rashtriya vaibhav parampara |
161 |
- संविधान आचरण व्यवस्था व शिक्षा संस्कार (समझदारी) में पूरकता सामरस्यता, सहअस्तित्व सहज प्रमाण परंपरा।
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राष्ट्रीय सुरक्षा |
rashtriya suraksha |
162 |
- अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था में भागीदारी सहज परंपरा। अखण्डता, सार्वभौमता सहज प्रमाण।
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राष्ट्रीय शास्त्र |
rashtriya shastra |
162 |
- आवर्तनशील अर्थ शास्त्र, व्यवहारवादी समाज शास्त्र, मानव संचेतनावादी मनोविज्ञान।
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राष्ट्रीय ज्ञान |
rashtriya gyan |
162 |
- सहअस्तित्व दर्शन ज्ञान, अस्तित्व नित्य वर्तमान स्थिति व जागृति सहज निश्चयता सहित ज्ञान।
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राष्ट्रीयता |
rashtriyata |
162 |
- अखण्ड समाज सहअस्तित्व में जागृति पूर्वक मानव सूत्र व्याख्या।
- मानवीयतापूर्ण आचरण, व्यवहार, विचार का वर्तमान और उसकी परंपरा।
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राक्षस मानव |
rakshas manav |
162 |
- क्रूरता, हीनता, दीनतात्मक स्वभाव, आहार, निद्रा, भय, मैथुन आदि चार विषय, सीमान्तवर्ती प्रवृत्ति एवं प्रिय, हित, लाभ द़ृष्टि सहित मनुष्य।
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रीति-नीति |
riti-niti |
162 |
- सदुपयोग सुरक्षा नीति पूर्वक क्रियान्वयन किए गए तरीके, तकनीक प्रक्रिया।
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रूचि |
ruchi |
162 |
- रचनात्मक व्यवस्था के अनुकूल तत्व।
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रुचिमूलक |
ruchimulak |
162 |
- संवेदनशीलता के आधार पर सोच-विचार कार्य प्रणाली।
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रूप |
rup |
162 |
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रूपवान |
rupvaan |
162 |
- शरीर रचना स्वरूप, जीवंत शरीर, जीवन और शरीर का संयुक्त रूप।
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रूप सजातीयता |
rup sajaatiyata |
162 |
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रूपस्थ |
rupastha |
162 |
- महिमा सहित रूप सान्निध्य के लिए की गयी प्रक्रिया रूपस्थ उपासना है।
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रूपात्मक अस्तित्व |
rupatmak astitva |
162 |
- सत्ता में संपूर्ण एक-एक के रूप में नित्य वर्तमान।
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रूपांतरण |
rupantaran |
162 |
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रोग |
rog |
162 |
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रोमांचक |
romanchak |
162 |
- स्वीकार सहित सच्चाई सहज उत्सव रूप में प्रकाशन।
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रेखाकरण |
rekhakaran |
163 |
- निश्चित योजनाओं का आकार-प्रकार का स्पष्ट होना।
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