लोभ |
lobh |
164 |
- पात्रता से अधिक प्राप्ति की आशा।
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लौकिक |
laukik |
164 |
- धरती पर व्यवस्था में भागीदारी, अनुभव मूलक विधि से जीना, आलोकित रहना, प्रकाशित रहना।
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लंबाई |
lambai |
164 |
- गुरुत्वाकर्षण के समानान्तर रचना।
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वक्तव्य |
vaktavya |
164 |
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वनस्पति |
vanaspati |
164 |
- वन में उत्पन्न पेड़-पौधे लता फूल फल गुल्म।
- उद्भित रचनायें। वायु का पाचनपूर्वक प्राण वायु में परिवर्तित करने वाला क्रिया समूह।
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वन्दना |
vandana |
164 |
- गौरवता को व्यक्त करने हेतु प्रयुक्त चेष्टा।
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वरण |
varan |
164 |
- अपना लेना, स्वीकारना, समझना, प्रमाण प्रस्तुत करना।
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वरदान |
vardaan |
164 |
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वरीय |
variya |
164 |
- प्राथमिकता श्रेष्ठता क्रम।
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वरेण्य |
varenya |
165 |
- सर्वोपरि जागृति का प्रमाण, दिव्यमानव पद सहज कार्य व्यवहार।
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व्रत |
vrat |
165 |
- गुणात्मक परिवर्तन की दिशा में आचरण निरंतरता।
- निष्ठापूर्वक लक्ष्य पूर्ति व उद्देश्य पूर्ति के लिए किया गया क्रियाकलाप व आचरण।
- स्वीकृत संकल्पों का निर्वाह।
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वर्चस्व |
varchasva |
165 |
- जागृति द़ृष्टा पद सहज प्रमाण।
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वर्तमान |
vartaman |
165 |
- सहअस्तित्व सहज वैभव में विश्वास सहज प्रमाण, आचरण सहित विधि से होना, जीना।
- स्थिति, गति की निरंतरता ही वर्तमान है।
- क्रिया, अभिव्यक्ति, भूत और भविष्य की मध्यस्थिति।
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वर्तुलाकार |
vartulakar |
165 |
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वर्धन |
vardhan |
165 |
- बढ़ना, शरीर वर्धन, वृक्ष वर्धन, ज्ञान वर्धन सहज प्रमाण।
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वर्षा |
varsha |
165 |
- तरल-तरल के साथ सहअस्तित्व को प्रमाणित करने की आतुरता कातुरता में जो विन्यास करता है उसे वर्षा अथवा प्रवाह संज्ञा है।
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वर्षाकालीन |
varshakalin |
165 |
- वर्षा ऋतु का क्रियाकलाप और समय, वन खनिज संतुलन में।
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वर्णित |
varnit |
165 |
- यथार्थता का व्याख्या सहज प्रस्तुति।
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वसुधा |
vasudha |
165 |
- वास करने योग्य स्थली, धाम, धरती।
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वस्तु |
vastu |
165 |
- वास्तविकता को व्यक्त किए रहना।
- त्व सहित व्यवस्था के रुप में वास्तविकता को व्यक्त करने वाली इकाई।
- वास्तविकता जिन जिन में प्रकाशित है, वर्तमान है।
- आकार, आयतन, घन सहित स्थानान्तरण।
- परिणाम एवं परिवर्तन बाध्यता।
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