मात्रात्मक |
matratmak |
146 |
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मातृत्व |
matritva |
146 |
- ममता अनन्यता वात्सल्य पूर्वक पोषण संरक्षण प्रमाण।
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मान घात |
man ghat |
146 |
- मूल्य हनन, मूल्यों की अवहेलना।
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मानना |
manna |
146 |
- जागृति क्रम में बिना जाने सुख का स्रोत मानना, मान्यता के आधार पर वाद विवाद पूर्वक हर वाद को प्रस्तुत करना।
- अस्तित्व, विकास, जीवन, जीवन जागृति, रासायनिक-भौतिक रचना व विरचना को जानने के उपरान्त स्वीकार करने वाली जीवन गत क्रिया।
- चरितार्थ करना, आचरण करना।
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मान भय |
man bhay |
146 |
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मानव |
manav |
146 |
- व्यवहारिक परिभाषा - मनाकार को साकार करने वाला, मन:स्वस्थता का आशावादी एवं प्रमाणित करने वाला।
- बौद्धिक परिभाषा - जड़-चेतन्य का संयुक्त साकार रूप।
- तात्विक परिभाषा - अस्तित्व, विकास, जीवन, जीवन जागृति, रासायनिक-भौतिक रचना व विरचना रूप में शरीर का दृष्टा।
- मानवीयता की पोषक दृष्टि, गुण व विषय सम्पन्न चैतन्य इकाई को “मानव" संज्ञा है।
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मानव कर्म दर्शन |
manav karm darshan |
147 |
- मानव में कायिक, वाचिक, मानसिक, कृत, कारित, अनुमोदित, जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति में किया गया कार्य व्यवहार व्यवस्था सहज भागीदारी का अध्ययन।
- मानवीयता के लक्ष्य में अर्थात् मानवीयतापूर्वक व्यवस्था और समग्र व्यवस्था में भागीदारी के रूप में मनुष्य द्वारा किया गया कायिक, वाचिक, मानसिक क्रियाकलाप ही स्वयं स्वतंत्रता, स्वराज्य कर्म, आचरण कर्म, व्यवहार कर्म, उत्पादन कर्म, विनिमय कर्म, स्वास्थ्य संयम कर्म, न्याय सुरक्षा कर्म और उसके प्रचार, प्रकाशन, प्रदर्शन, साहित्य, कला की अभिव्यक्ति संप्रेषणाएँ कर्म हैं ।
- जागृति पूर्वक कायिक, वाचिक, मानसिक, कृत, कारित, अनुमोदित विधि से सुखी होने की विधि।
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मानवकृत |
manavkrit |
147 |
- मनाकार को साकार करने के स्वरुप में।
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मानव कृत वातावरण |
manav krit vatavaran |
147 |
- मनाकार को साकार करने, मन: स्वस्थता को प्रमाणित करने मानव सहित मानवेत्तर प्रकृति के साथ किए गये क्रियाकलाप।
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मानव कुल |
manav kul |
147 |
- मानव जाति व धर्म एकरूपता सहज परम्परा।
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मानव का शासन |
manav ka shasan |
147 |
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मानव की शरण |
manav ki sharan |
147 |
- व्यवस्था = मानवीयता = विश्वसन = आश्वासन होने योग्य पद्धति, प्रणाली, नीति।
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मानव में निहित अमानवीयता का भय |
manav me nihit amanviyata ka bhay |
147 |
- द्रोह, विद्रोह, शोषण, युद्ध, भय, छल, कपट, दम्भ, पाखण्ड, समझ भेद, दण्डभय अमानव रूपी पशु मानव राक्षस मानव कृत्यों का परिणाम।
- परधन, परनारी/परपुरुष, परपीड़ा।
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मानव परंपरा |
manav parampara |
147 |
- मानवीय शिक्षा, संस्कार, राज्य व्यवस्था, संविधान व आचरण में एकरूपता का अविभाज्य वर्तमान।
- जागृत मानव एवं मनोवेग के बराबर में उपलब्धि मानवीय परंपरा है।
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मानव पद |
manav pad |
148 |
- ज्ञानावस्था (जानने, मानने, पहचानने, निर्वाह करने का क्रियाकलाप)।
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मानव में अभ्युदय |
manav me abhyuday |
148 |
- सर्वतोमुखी समाधान सम्पन्न परम्परा अभ्युदय।
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मानवाभिलाषा |
manavabhilasha |
148 |
- अभ्युदय अर्थात् सर्वतोमुखी समाधान रूप में प्रमाणित होना।
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मानव भाषा सूत्र |
manav bhasha sutra |
148 |
- कारण, गुण, गणितात्मक भाषापूर्वक यथार्थता, वास्तविकता, सत्यता सहज वस्तुओं का बोध होना और अनुभव में होना।
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मानव धर्म |
manav dharm |
148 |
- सर्वतोमुखी समाधान की सम्प्रेषणा व प्रकाशन।
- सुख, शांति, संतोष एवं आनंद।
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मानव धर्म नीति |
manav dharm niti |
148 |
- तन, मन, धन का सदुपयोग। अभ्युदयकारी कार्यक्रम।
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