बुद्धि |
buddhi |
136 |
- बोध करने वाले अंग की बुद्धि संज्ञा है।
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बुद्धिमान |
buddhiman |
136 |
- ज्ञान विवेक विज्ञान संपन्नता और प्रमाण प्रस्तुत करने वाला।
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बुद्धि सत्ता |
buddhi satta |
136 |
- अनुभव बोध और उसकी निरंतरता वर्तमान प्रमाण।
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बुद्धि सत्यग्राही |
buddhi satyagrahi |
136 |
- अनुभव सहज सत्य बोध होना एवं ऐसा ही और में होने की अपेक्षा।
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बुद्धि क्षोभ |
buddhi kshobh |
136 |
- सत्यबोध न हो पाना ही बुद्धि क्षोभ है।
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बुनियादी |
buniyadi |
136 |
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बोध |
bodh |
136 |
- अस्तित्व बोध, सत्यबोध, जीवन बोध, व्यवस्था बोध, अनुभव मूलक विधि से कराए गए अध्ययन संपन्न होना।
- स्थिति में निर्भ्रमता। जानने, मानने की संतुलन स्थिति बोध है।
- न्याय बोध, धर्म बोध, सत्य बोध।
- निश्चयात्मक स्वीकृति, सहज स्वीकृति।
- बुद्धि सहज प्रत्यावर्तन।
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बोधगम्य |
bodhgamya |
136 |
- समझ में आना, अनुभव होना, प्रमाणित होना।
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बौद्धिक |
bauddhik |
136 |
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बौद्धिक जागरण |
bauddhika jagran |
136 |
- आत्म बोध होना |
- अनुभव बोध संपन्नता।
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बौद्धिक पक्ष |
bauddhik paksh |
136 |
- अनुभव प्रमाणों को प्रमाणित करने की योग्यता।
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बौद्धिक विकास |
bauddhik vikas |
137 |
- अध्ययन पूर्वक सत्य बोध होना, अनुभव बोध पूर्वक प्रमाणित होना।
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बौद्धिक समाधान |
bauddhik samadhan |
137 |
- मानवीयतापूर्ण क्षमता, योग्यता, पात्रता।
- व्यवसाय, व्यवहार और विचार में निर्विषमता (निर्विरोधिता)।
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ब्रह्म |
brahm |
137 |
- व्यापक, साम्य सत्ता, साम्य ऊर्जा, सत्य, आकाश, शून्य, ज्ञान, ज्योति, लोकेश, चेतना।
- जड़ चैतन्य में पारगामी, पारदर्शी। क्रिया समूह का आधार है।
- ब्रह्म व्यापक और स्थिर है, इसमें कोई तरंग, कंपन, गति नहीं है।
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ब्रह्मचर्य |
brahmacharya |
137 |
- संवेदनाओं का नियंत्रण, संज्ञानीयतापूर्वक संवेदनायें नियंत्रित रहने का प्रमाण।
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ब्रह्म ज्ञान |
brahm gyan |
137 |
- व्यापक में संपूर्ण वस्तु सहज सहअस्तित्व ज्ञान, अनुभव प्रमाण ज्ञान वैभव।
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ब्रह्मानुभूति |
brahmanubhuti |
137 |
- व्यापक वस्तु में ही संपूर्ण एक-एक वस्तुओं का अनुभव सिंधु बिंदु न्याय से संपन्न होना रहना। चैतन्य ज्ञानात्मा का अंतिम विकास ब्रह्मानुभूति है।
- आनंद की निरंतरता ही ब्रह्मानुभूति का आद्यान्त लक्षण है।
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ब्रह्माण्ड |
brahmand |
137 |
- अनेक ग्रह गोलों का संयुक्त कार्यप्रणाली, व्यवस्था के रूप में प्रमाणित होना, विकास क्रम, विकास, जागृति क्रम, जागृति के प्रगटन क्रम में अथवा प्रगट किया हुआ वैभव रूप में।
- परस्पर अनुशासित या अनुवर्तित लोक-व्यूह की ब्रह्माण्ड संज्ञा है।
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बह्माण्डीय किरण |
Brahmandiya kiran |
137 |
- किरणों का प्रसारण, प्रभावशीलन।
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भक्त |
bhakt |
137 |
- भय मुक्त, भ्रम मुक्त मानव, जागृत मानव-अखण्डता सार्वभौमता सहज सूत्र व्याख्या रूपी मानव।
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