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प्रेरणा prerana 133
  • प्रयोजन के अर्थ में प्रेरित होने का सूत्र, उत्सवित होने का सूत्र, जागृत होने का सूत्र, प्रमाणित होने का सूत्र व्याख्या।
  • मिलन के अनंतर उभय सुकृति (विकास)। दिशा और गति के परिवर्तन के लिए प्राप्त दबाव और प्रभाव।
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प्रेरणावादी preranavadi 133
  • प्रेरणा के लिए योग्य प्रस्ताव।
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प्रेरित prerit 133
  • प्रमाणित होने के लिए प्राप्त तर्कसंगत अध्यापन और स्वीकृति।
  • सत्य सहज प्रेरणा को स्वीकारना व प्रमाण प्रस्तुत करना।
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प्रेरित इच्छा prerit ichchha 133
  • प्रमाण सहित अन्य में उद्बोधित इच्छा।
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प्रेषक preshak 133
  • प्रमाण सहित प्रेरणा प्रस्तुत करने वाला।
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प्रेषण preshan 133
  • प्रयोजनार्थ प्रेरणा सहित स्वीकृति योग्य प्रस्तुति।
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प्रेषित preshit 133
  • प्रेरणा के लिए प्रस्तुत।
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पंचकोटि मानव panchakoti manav 133
  • पंचकोटि में आज की स्थिति में जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, दिव्य चेतना विधि से। पशुमानव, राक्षस मानव, मानव, देवमानव, दिव्य मानव।
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पंचवटी panchvati 134
  • पाँच प्रकार के बड़े वृक्षों का संयुक्त वन, विगत की मान्यता- वट, पीपल, गूलर, आम और नीम।
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पंचायत panchayat 134
  • एक से अधिक लोगों के बीच में न्याय और समाधान के लिए तर्क सुनना, सुनाना, मूल्य, मूल्यांकन उभयतृप्ति आधार पर निर्णय लेना।
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पंथ panth 134
  • निश्चित प्रकार की आस्था (मान्यता) पर आधारित चिन्ह, प्रतीक, रूढ़ियाँ।
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पंडित pandit 134
  • सत्य को समझा हुआ और प्रमाणित करने वाला।
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पृथकत्व prithakatva 134
  • विघटन और विविधता।
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फल phal 134
  • वृक्षों में फल, मानव में कायिक वाचिक मानसिक व कृत कारित अनुमोदित रूप में कर्मफल, किया गया का फल।
  • क्रिया-प्रक्रिया प्रणाली का अंतिम परिणाम।
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फलन phalan 134
  • फलित होने वाला व फलित हो चुका।
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फल परिणाम परिपाक phal parinam paripak 134
  • घटित फल और परिणाम के आधार पर पुन: फल के लिए पृष्ठभूमि।
  • फलित होने का पूर्व रूप।
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फलश्रुति phalashruti 134
  • फलित होने का ज्ञान और प्रकाशन।
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बचपन bachpan 134
  • शिशु अवस्था, कौमार्यवस्था, युवावस्था तक न्याय समाधान सत्य सहज बहुमखी प्रतिभा संपन्न होने की अवस्था।
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बन्धन bandhan 134
  • भ्रमवादी प्रवृत्ति, कार्य व्यवहार में संवेदनाओं को जीवन मानना।
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बन्धु bandhu 134
  • सत्य बोध संपन्न परस्परता परंपरा मानव का संबंध।
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