बल |
bal |
134 |
- प्रभाव क्षेत्र, प्रभाव, प्रभावीकरण प्रेरणा एवं दबाव रूप में।
- स्थिति में बल, गति में शक्ति।
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बलपोषक |
balposhak |
135 |
- अनुभव बल सहज निरंतरता के अर्थ में किया गया कार्य व्यवहार विचार।
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बलवती |
balavati |
135 |
- प्रमाणित करने के लिए परिस्थिति का सुगम होना।
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बली |
bali |
135 |
- बलवान दयापूर्वक सुखी होता है। दूसरों को जीने देकर जीना ही दया है।
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बहन |
bahan |
135 |
- बहुमुखी अभ्युदय सहज अनुबंध व प्रमाण, समाधान पूर्ण प्रमाण।
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बहिरंग |
bahirang |
135 |
- शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंधेन्द्रियों द्वारा किये गये कार्य को बहिरंग संज्ञा है।
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बहिरंग व्यवहार |
bahirang vyavahar |
135 |
- सार्वभौम व्यवस्था अखण्ड समाज व्यवस्था में भागीदारी।
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बहिरंग साधन |
bahirang sadhan |
135 |
- शरीर व शरीर से उत्पन्न अथवा उसके द्वारा उत्पादित वस्तुएं।
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बहिर्विरोध |
bahirvirodh |
135 |
- भ्रमित स्थिति में संस्कृति, सभ्यता, विधि, व्यवस्था में परस्पर विरोध।
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बहुमुखी |
bahumukhi |
135 |
- अनेक कोण व दिशा की ओर प्रतिबिम्ब और पहचान, हर इकाई अनंत कोण संपन्न।
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बहुमूल्य रचना |
bahumulya rachna |
135 |
- श्रेष्ठ कला शिल्प कारिता, शिल्प चित्र, साहित्य-कविता सहज सार्थक रचनायें।
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बाध्यता |
badhyata |
135 |
- प्रतिबद्धता, स्वीकार किया हुआ प्रवृत्ति, सत्यापित कार्य के लिए प्रवृत्ति।
- विकल्पहीन स्वीकृति।
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बिम्ब |
bimb |
135 |
- इकाई रचना स्वरूप।
- अनेक स्पंदनशील अणुओं का संगठित रूप-आकृति संरचना की सीमा।
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बीज |
beej |
135 |
- सम्पूर्ण रचना (वृक्ष) का स्वरूप, नियम संगतिबद्ध रूप में बीज में पाया जाता है।
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बीजगुणन |
beejgunan |
135 |
- बीजों में गुणात्मक परिवर्तन।
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बीज भेद |
beej bhed |
136 |
- अनेक प्रकार के बीज वृक्ष प्रमाण स्वरूप अनेक प्रकार के अन्न वनस्पतियाँ।
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बीज रूप |
beej rup |
136 |
- संयोग-योग पाकर प्रकट होने वाला स्वरूप।
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बीज संस्कार |
beej sanskar |
136 |
- बीज परंपरा में गुणात्मक परिवर्तन के लिए उपक्रम।
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बीजानुषंगीय |
beejanushangiya |
136 |
- प्राणावस्था में बीज-वृक्ष परम्परा।
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बुद्ध |
buddh |
136 |
- जो तीनों कालों में एक सा बोधगम्य हो।
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