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पूर्ण निराकर्षण purn nirakarshan 117
  • शून्याकर्षण, पदार्थावस्था में शून्याकर्षण प्राणावस्था व जीवावस्था धरती के साथ है धरती शून्याकर्षण में है। इस विधि से धरती के सारे पदार्थ चारों अवस्था में शून्याकर्षण में है ही मानव परंपरा में जागृति आसक्तियों से निराकर्षण भ्रम भयवादी प्रवृत्ति से मुक्ति।
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पूर्णफल purnaphal 117
  • नियमपूर्ण व्यवसाय, न्यायपूर्ण व्यवहार।
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पूर्ण बोध purn bodh 117
  • अस्तित्व दर्शन बोध, जीवन ज्ञान बोध, मानवीयता पूर्ण आचरण बोध।
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पूर्णभाव purnabhav 117
  • जागृतिपूर्ण जीवन प्रतिष्ठा, परिष्कृतिपूर्ण संचेतना की अभिव्यक्ति।
  • द़ृष्टा पद प्रतिष्ठा, दया, कृपा, करुणा के अविभाज्य रूप प्रेम सहज अभिव्यक्ति, संप्रेषणा, प्रकाशन क्रिया।
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पूर्ण विकसित सृष्टि purn viksit srishti 117
  • जीवन घटना, चैतन्य इकाई, चारों अवस्थाओं व पदों से संपन्न धरती पर ही सहअस्तित्व सहज प्रमाण।
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पूर्ण विकास purn vikas 117
  • परमाणु में गठन पूर्णता, अणु रचित रचना में धरती, प्राण कोशाओं रचित रचना में मानव शरीर।
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पूर्ण विषय purn vishay 117
  • परम सत्य, सहअस्तित्व, नित्य वर्तमान, अनुभव सहज प्रमाण उपकार प्रवृत्ति।
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पूर्ण-विश्राम purn-vishram 117
  • क्रिया पूर्णता, आचरण पूर्णता, फलत: समाधान = व्यवस्था व समग्र व्यवस्था में भागीदारी सहज है।
  • सर्वतोमुखी समाधान सम्पन्नता सहज प्रमाण।
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पूर्णतया purnataya 117
  • स्थिति सत्य, वस्तुस्थिति सत्य, वस्तुगत सत्य सहज सूत्र व्याख्या।
  • संपूर्ण विधि से किया गया।
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पूर्णता purnata 117
  • गठनपूर्णता, क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता।
  • अमरत्व, विश्राम, गंतव्य।
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पूर्णता त्रय purnata tray 117
  • गठनपूर्णता, क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता।
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पूर्णाधार purnadhar 117
  • सत्तामय।
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पूर्वज purvaj 117
  • पहले की पीढ़ियाँ।
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पूर्व पुरुष purv purush 118
  • सुदूर विगत में प्राचीन-अर्वाचीन समय से मानव शुभ चाहता रहा किन्तु घटित नहीं हो पाया, इसे घटित करना सर्वशुभ परंपरा में जीना।
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पूर्वानुक्रम purvanukram 118
  • अनुभवगामी पद्धति पूर्वक अनुभव मूलक विधि से प्रमाणित सूत्र व्याख्या। मन-वृत्ति का, वृत्ति-चित्त का, चित्त-बुद्धि का तथा बुद्धि-आत्मा का संकेत ग्रहण करना।
  • अनुभवमूलक परंपरा।
  • वृत्ति, चित्त, बुद्धि व आत्मा के अनुकूल प्रेरणा।
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पूर्वानुषंगित purvanushangit 118
  • पहले से जुड़ा हुआ, अनुभव से जुड़ा हुआ प्रमाण परंपरा।
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पूर्वानुषंगी संकेत purvanushangi sanket 118
  • जागृति सहज प्रमाण ग्रहण करने की योग्यता, अधिकार।
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पूर्वापर purvapar 118
  • पर का तात्पर्य शरीर मूलक, पूर्व अर्थात् अनुभव मूलक।
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पूर्वावर्ती प्रमाण purvavarti praman 118
  • अध्यात्मवाद, अधिदैवीवाद, अधिभौतिकवाद किताब को प्रमाण मानता है क्योंकि यह ऋषि मुनियों को आकाश ईश्वर या देवी देवता से सुना हुआ है। देवदूत अवतारों के वाक्य भी उतना ही पावन माना गया है। ऐसे वचनों को एकत्र किया हुआ किताब को प्रमाण माना गया है। भौतिकवाद के अनुसार यंत्र प्रमाण है मनुष्य प्रमाण नहीं है।
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पूंजी निवेश punji nivesh 118
  • उत्पादन कार्य में मूल पूंजी रूपी तन, मन, धन का नियोजन।
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