Words & Paribhashas

Add Word
Word (Hindi) Hinglish Page No Paribhashas Actions
पाप pap 114
  • अमानवीयता वश आचरण एवं व्यवहार।
View
पापमुक्ति papmukti 114
  • भ्रम मुक्ति - जागृति।
View
पारगामी pargami 114
  • हर वस्तु में आर-पार रहना।
  • हर वस्तु में ओत-प्रोत रहना, भीगा रहना।
View
पारदर्शक paradarshak 114
  • प्रतिबिम्ब, प्रकाश, पारगामी होना।
View
पारदर्शिता pardarshita 114
  • भ्रममुक्ति, रहस्यमुक्ति, जागृति।
View
पारदर्शी-पारगामी pardarshi-pargami 114
  • व्यापक वस्तु में संपूर्ण एक-एक डूबे, भीगे, घिरे रहना का प्रमाण, भीगे रहने का प्रमाण ऊर्जा सम्पन्नता, घिरे रहने से नियंत्रण, डूबे रहने से परस्परता की पहचान, पारगामियता ऊर्जा सम्पन्नता के रूप में परस्परता में (एक-एक) प्रतिबिम्ब पहचानने के अर्थ में।
View
पारलौकिक paralaukik 114
  • अनुभव मूलक प्रमाण सहित जीना।
View
पारितोष paritosh 114
  • प्रसन्नता पूर्वक प्रदत्त वस्तु।
View
पारंगत parangat 114
  • जागृत मानव प्रमाण प्रस्तुत करने वाला, परीक्षण निरीक्षण पूर्वक प्रमाण सहित सच्चाईयों को बोध कराने वाला।
View
पावन pavan 114
  • पवित्र, परम्परा योग्य पवित्र वस्तु, प्रेरणा ज्ञान विज्ञान विवेक कार्य व्यवहार।
View
पाषाण pashan 114
  • कठोरता का प्रकाशन, कठोर वस्तु।
View
पाण्डित्य panditya 114
  • सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व में अनुभव दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान एवं मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान में पारंगत।
  • न्यायान्याय, धर्माधर्म, सत्यासत्य निर्णय करने, तदनुसार आचरण करने तथा अन्य को बोधगम्य कराने योग्य क्षमता।
View
पाँच स्थिति panch sthiti 115
  • व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं अंतर्राष्ट्ऱ, यही परिप्रेक्ष्य।
View
पिण्ड pind 115
  • सभी ओर से सीमित ठोस वस्तु।
View
पिण्डज संसार का प्रकटन pindaj sansar ka prakatan 115
  • वनस्पति संसार के अवशेषों से कीड़े-मकौड़े के तैयार होने की विधि-पद्धति स्वेदज है। अभी भी प्रयोग करने पर कीड़े-मकोड़े तैयार होते हैं। ऐसे कीड़े-मकौड़े में से अण्डज प्रणाली स्थापित हुई जैसे चींटी-स्वेदज और अण्डज भी है। ऐसे अण्डज प्रवृत्ति विकसित प्रणाली में गण्य हो चुकी है। जो सब भूचर, खेचर, जलचर के रूप में स्पष्ट है। अण्डज संसार के समृद्ध होने के पश्चात पिण्डज संसार की शुरूआत हुई और पिण्डज संसार समृद्ध विकसित होने पर मानव परम्परा प्रकट हुई है और इसमें संवेदना से संज्ञानीयता तक जागृत होने की आवश्यकता बनी हुई है इसके सार्थक रूप होने के अर्थ में मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद प्रस्तुत हुआ है।
View
पिता pita 115
  • संरक्षण पोषण करने वाला, संतानों का संरक्षण पोषण किया जाना।
View
प्रिय priya 132
  • संवेदनाओं के लिए सुगम स्वीकृति।
  • विषय सापेक्ष स्वीकृति।
View
पीड़ा pida 115
  • समस्याओं व अव्यवस्था से प्रभावित होना, भ्रमित मानव ही संपूर्ण प्रकार के समस्या का कारण है।
View
पीढ़ी pidhi 115
  • आगे की संतान परम्परा।
View
पुण्य punya 115
  • समझदारी को प्रमाणित करने की प्रवृत्ति, निष्ठा, प्रमाण।
  • गुणात्मक परिवर्तन में प्रवृत्ति।
View