पुण्यशाली |
punyashali |
115 |
- सर्वशुभ के लिए प्रयत्नशील प्रमाण संपन्न मानव।
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पुण्यार्जन |
punyarjan |
115 |
- जागृति सहज प्रमाण सम्पन्नता।
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पुण्यात्मा |
punyatma |
115 |
- सार्वभौम साम्य कामना का पोषण करने वाला।
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पुत्रेषणा |
putreshana |
115 |
- जन बल कामना एवं वंश वृद्धि में विश्वास।
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पुनर्कल्पना |
punarkalpana |
115 |
- गुणात्मक परिवर्तन मूलक विचार क्रम।
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पुरातत्व |
puratatva |
116 |
- स्मरणार्थ बनाया गया स्मारक/रचना।
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पुरुषार्थ |
purusharth |
116 |
- आवश्यकता से अधिक उत्पादन, समाधान सहित समृद्धि का अनुभव।
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पुष्टि |
pushti |
116 |
- यथास्थिति को बनाये रखने के लिए प्राप्त द्रव्य और मूल्यांकन पहचान निर्वाह पूर्ण अधिक और कम से मुक्ति।
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पुष्टि धर्म |
pushti dharm |
116 |
- प्रजनन क्रिया सहित परम्परा, वनस्पति संसार में एक बीज से अनेक बीज होना।
- प्राण कोषाओं से प्रजनन।
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पुँज |
Punj |
116 |
- चैतन्य इकाई की कार्य सीमा सहित गति का आकार यही चैतन्य पुँज है, इसी में सम्मिलित मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि एवं आत्मा है।
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पुँजाकार |
punjakar |
116 |
- जड़ इकाई का आवेशित गति, जीवन में जीने की आशा सहित स्वयं स्फूर्त विधि से बना लिया गया कार्य गति पथ।
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पूजा |
puja |
116 |
- अग्रिम श्रेष्ठता के लिए प्रवर्तन, प्रवर्तित होने के लिए किया गया सभी औपचारिक कार्य।
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पूजापाठ |
pujapath |
116 |
- आगे और गुणात्मक विकास और प्रमाण के लिए बना लिया गया मानसिकता और अपेक्षारत रहने का कार्यक्रम।
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पूज्यता |
pujyata |
116 |
- स्वीकार और अनुकरण करने योग्य ज्ञान विवेक विज्ञान सम्पन्नता सहित आचरणों की स्वीकृति सहित किया गया सम्मान।
- गुणात्मक विकास और जागृति के लिए सक्रियता, क्रियाकलाप।
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पूरक |
purak |
116 |
- एक दूसरे की परस्परता में उपयोगिता सहज संपन्न हुआ आदान-प्रदान।
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पूरकता |
purakata |
116 |
- एक दूसरे के लिए उपयोगी, जागृति के लिए प्रेरक प्रमाण संपन्न होना।
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पूरक विधि |
purak vidhi |
116 |
- त्व सहित व्यवस्था क्रम में उपयोगिता व पूरकता।
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पूर्ण |
purn |
116 |
- जो स्वयं मात्रा न हो और जिसमें समग्र मात्रा समाई हो।
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पूर्णकला |
purnakala |
116 |
- मानवीयता पूर्ण संस्कृति, सभ्यता, विधि व्यवस्था में जीना।
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पूर्ण चेतना |
purn chetana |
116 |
- जागृतिपूर्ण ज्ञान-दिव्य मानव चेतना सहज प्रमाण।
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