परिस्थिति |
paristhiti |
112 |
- फल परिणाम से बना हुआ वातावरण।
- व्यक्त होने, कार्य व्यवहार में प्रमाणित होने, व्यवस्था में जीने के लिए अनुकूलता।
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परिशीलन |
parishilan |
112 |
- अखण्डता, सार्वभौम के अर्थ में प्रयोजनों को पहचानने सहज क्रिया।
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परिष्कृति |
parishkriti |
112 |
- सार्वभौम व्यवस्था सहज सूत्र व्याख्या संपन्नता।
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परिष्कृति पूर्ण संचेतना |
parishkriti purn sanchetana |
112 |
- अस्तित्व, विकास, जीवन, जीवन जागृति, रासायनिक-भौतिक रचना-विरचनाओं को असंदिग्ध रूप में जानने-मानने की क्रिया।
- मानव-संबंधी, नैसर्गिक संबंधों व उनमें निहित मूल्यों को पहचानने और निर्वाह करने में परिपूर्णता।
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परिहार |
parihar |
113 |
- रोगों का, अड़चनों का निराकरण।
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परिश्रम |
parishram |
113 |
- समृद्धि के अर्थ में प्राकृतिक ऐश्वर्य पर नियोजित किया गया श्रम, तन मन सहित श्रम नियोजन।
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परिश्रमी |
parishrami |
113 |
- उत्पादन कार्य में उत्साहित व्यक्ति समृद्धि के लिए सूत्र व्याख्या संपन्न।
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परिज्ञान |
parigyan |
113 |
- परिशिष्ट ज्ञान (पूर्ण ज्ञान)। निश्चित ज्ञान।
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परीक्षण |
parikshan |
113 |
- क्यों, कैसे, कितना का आंकलन विधि (ज्ञानार्जन विधि)।
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परोपकार |
paropakar |
113 |
- समझा हुआ को समझना, किया हुआ का कराना, सीखा हुआ को सीखाना, उपयोगिता से अधिक वस्तुओं को प्रयोजनशीलता में समर्पित करना।
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पर्यन्त |
paryant |
113 |
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पशु भय |
pashu bhay |
113 |
- क्रूर जंतुओं जैसे सांप बिच्छू आदि का भय।
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पशु मानव |
pashu manav |
113 |
- हीनता, दीनता, क्रूरता वादी स्वभाव। प्रिय, हित, लाभ द़ृष्टि एवं विषय चतुष्टय में प्रवृत्ति तथा आसक्ति और भय प्रलोभन से पीड़ित।
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पहचान |
pahachan |
113 |
- परस्परता में बिम्ब का प्रतिबिम्ब सहित रूप, गुण, स्वभाव, धर्म को समझना।
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पहचानना |
pahachanana |
113 |
- हर वस्तु अपने पद यथास्थिति रूप में बिम्बित रहता है, यह पहचान का सूत्र है यह जड़ प्रकृति में भी प्रमाणित है। इसी विधि से परस्पर अंश एक दूसरे को पहचानते हुए व्यवस्था में है। इस तरह प्रत्येक परमाणु अपने-अपने निश्चित आचरण को प्रस्तुत करते हैं। प्रयोजन के अर्थ में पहचान मानव परम्परा में जागृति पूर्वक ही प्रमाणित है। जड़-चैतन्य प्रकृति में भी प्रतिबिम्बन विधि से पहचान।
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पक्षधर |
pakshadhar |
113 |
- यथार्थता, वास्तविकता, सत्यता के अर्थ में प्रतिबद्धता और सत्यापन।
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पक्षाभिलाषा |
pakshabhilasha |
114 |
- व्यवस्था में भागीदारी करने की अपेक्षा।
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पाखण्ड |
pakhand |
114 |
- दिखावा पूर्वक विश्वासघात करना।
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पाचन |
pachan |
114 |
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पात्रता |
patrata |
114 |
- ग्रहण क्रिया कलाप, भौतिक रूप में रासायनिक व जीव क्रिया के रूप में स्पष्ट।
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