पर धन |
par dhan |
105 |
- वंचना, प्रवंचना, शोषण एवं अपहरण पूर्वक अथवा हीनता, दीनता एवं क्रूरता पूर्वक प्राप्त धन।
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परधर्म |
paradharm |
106 |
- जीव धर्म के अनुरूप जीने वाला मानव, जीवों के सद़ृश्य जीने के लिए प्रयत्नशील मानव (पशु मानव, राक्षस मानव)। पदार्थ, प्राण, जीव अवस्था में जीने वाली इकाईयाँ परधर्मी होते ही है।
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परपीड़ा |
parapida |
106 |
- अन्य का सुरक्षित जीने के क्रम में हस्तक्षेप, दूसरे को पीड़ित कर सुखी होने का प्रयास, बलपूर्वक जीवों का वध, भक्षण करना।
- अमानवीयतावादी व्यवहार एवं आचरण।
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परम |
param |
106 |
- जागृतिपूर्णता, दिव्यमानव पद प्रतिष्ठा, द़ृष्टापद प्रतिष्ठा, सर्वतोमुखी समाधान प्रमाण प्रतिष्ठा।
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परम अर्थ |
param arth |
106 |
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परम आचरण |
param aacharan |
106 |
- मानवीयता पूर्ण आचरण ही परम आचरण है।
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परम ऐश्वर्य सिद्धि |
param aishvarya siddhi |
106 |
- परम सत्य रूपी सहअस्तित्व में अनुक्षण, ईक्षण वृत्ति (क्रिया) क्षमता, सहअस्तित्व में द़ृष्टा पद प्रतिष्ठा।
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परम तृप्ति |
param tripti |
106 |
- जागृति सहज निरंतरता।
- जानने, मानने का परम तृप्ति अनुभव है। परम तृप्ति का तात्पर्य अक्षुण्णता से है।
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परम दर्शन |
param darshan |
106 |
- सहअस्तित्व रूपी अस्तित्व दर्शन।
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परम पद |
param pad |
106 |
- श्रेय पद ही सम्पूर्ण मानव के लिए परम पद है। मुक्ति पद है।
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परम पुरुषार्थ |
param purusharth |
106 |
- व्यापकता में अनुभूति योग्य क्षमता, योग्यता एवं पात्रता का उपार्जन ही परम पुरुषार्थ है। यही जागृति है।
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परम लाभ |
param labh |
106 |
- मानवीयता पूर्ण प्रमाण ही परम लाभ है।
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परम सत्य |
param satya |
106 |
- सहअस्तित्व। सत्ता में संपृक्त प्रकृति। आत्मानुभूत तथ्य ही परम सत्य है।
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परमत्रय |
paramtraya |
106 |
- अस्तित्व परम, विकास परम, जीवन पद में जागृति परम।
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परम ज्ञान |
param gyan |
106 |
- अस्तित्व दर्शन ज्ञान, जीवन ज्ञान व मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान।
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परमाणु |
paramanu |
107 |
- व्यवस्था का मूल ध्रुव।
- निश्चित संख्यात्मक अंशों से गठित गठन और व्यवस्था।
- अस्तित्व में निश्चित व्यवस्था का आचरण रूप में प्रकाशन।
- विकास में निश्चयता का सूत्र।
- एक से अधिक अंशों से गठित गठन सहित निश्चित क्रिया।
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परमात्मा |
paramatma |
107 |
- व्यापक वस्तु, पारगामी, पारदर्शी सहज रूप में नित्य वर्तमान, व्यापक वस्तु में संपूर्ण एक-एक वस्तुएं चारों अवस्थायें डूबे भीगे व घिरे हुए के रूप में व्यक्त है, प्रमाणित है।
- तीनों काल में एकसा विद्यमान, बोधगम्य एवं आनंदमय (सत्ता)।
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परमात्मा स्मरण |
paramatma smaran |
107 |
- सत्तामयता में सम्पूर्ण प्रकृति सम्पृक्त होने सहज स्वीकृति की निरंतरता।
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परमार्थ |
paramarth |
107 |
- समाधान एवं अनुभूति के लिए किया गया नियोजन।
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परमार्थी |
paramarthi |
107 |
- जागृत सहज प्रमाणों को प्रमाणित करने वाला।
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