न्यायवादी विचार |
nyayvadi vichar |
104 |
- सार्वभौम व्यवस्था भागीदारी वादी विचार।
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न्यायार्जन |
nyayarjan |
104 |
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न्यायिक |
nyayik |
104 |
- हर मानव जागृतिपूर्वक न्याय मानसिकता सम्पन्न होना।
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न्यास |
nyas |
104 |
- संबंध मूल्य निर्वाह विधि से किया गया नियंत्रण।
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न्यूनफल |
nyunphal |
104 |
- कर्म से जिस प्रकार का फल अनिवार्य है उसमें अपूर्णता।
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नृत्य |
nritya |
104 |
- मानव चेतना सहज प्रयोजन के अर्थ में भाव भंगिमा, मुद्रा, अंगहार सहज संयुक्त अभिव्यक्ति, संप्रेषणा, प्रकाशन ही नृत्य है।
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पतन |
patan |
104 |
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पद |
pad |
104 |
- अस्तित्व में प्राण पद, भ्रांतिपद, देवपद, दिव्यपद चक्र के रूप में नित्य प्रकाशन।
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पदक्रम |
padkram |
105 |
- प्राण पद, भ्रान्ति पद, देव पद व दिव्यपद।
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पद भय |
pad bhay |
105 |
- पद से अलग होने का भय, अन्यायपूर्वक पद का प्रयोग।
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पदमुक्ति |
padmukti |
105 |
- दिव्य पद, द़ृष्टापद, जागृति प्रमाण सहज अभिव्यक्ति व संप्रेषणा।
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पदातीत |
padatit |
105 |
- जो किसी पद में नहीं हो या सीमित न हो; जिसमें सभी पद निहित हों उसे पदातीत संज्ञा है।
- सत्ता, व्यापक, ईश्वर।
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पदार्थ |
padarth |
105 |
- पद भेद से अर्थ भेद को प्रकट करने वाली इकाईयाँ (जड़-चैतन्य प्रकृति)।
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पदार्थाकार |
padarthakar |
105 |
- ठोस, तरल, विरल के रूप में पहचान।
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पदार्थ विज्ञान |
padarth vigyan |
105 |
- रासायनिक एवं भौतिक ज्ञान।
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पदार्थावस्था |
padarthavastha |
105 |
- पद भेद से अर्थभेद को अर्थात् पहचान बताने वाले वस्तु, पदार्थावस्था में ही विकास क्रम स्पष्ट है। प्राणावस्था भी इसी क्रम में है। ‘विकास’ गठन पूर्ण परमाणु के रूप में है यह मानव परम्परा में निरीक्षण परीक्षण पूर्वक स्पष्ट है। मानव ही ज्ञानावस्था में होने के कारण भ्रमित-निर्भ्रमित विधियों से जीता है। इस प्रकार चारों अवस्थाओं का मूल स्वरूप “पदार्थावस्था” भौतिक रासायनिक व जीवन क्रिया सहज विधि से चार अवस्था चार पद अस्तित्व में स्पष्ट।
- क्रियाशील पदार्थ का ठोस, तरल एवं वायु रूप।
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पद्धति |
paddhati |
105 |
- लक्ष्यपूर्ति के लिए निश्चित गति-प्रणाली-गति सहज तरीका पुष्टि संरक्षण प्रदाय करना-मानव परम्परा मौलिक है।
- पदानुसार दायित्व एवं कर्त्तव्य का निर्वहन।
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पर्यावरण |
paryavaran |
113 |
- धरती के सतह और वातावरण प्रभाव क्षेत्र।
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परखना |
parakhana |
105 |
- निरीक्षण, परीक्षण व सर्वेक्षण सहित पहचान प्रस्तुति।
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परतंत्र |
paratantra |
105 |
- ह्रास के लिए प्राप्त दबाव, गति व आचरण।
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