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नि:श्रेयसवादी nishreyaswadi 102
  • जागृति मूलक विधि से जागृतिगामी प्रणाली सहज प्रबोधन पूर्वक सर्व मानव में, से, के लिए बोध सुलभ होना अथवा होने योग्य क्षमता का होना।
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नीति niti 102
  • नियति विधि पूर्वक गतिविधियाँ।
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नीति त्रय niti traya 102
  • धर्मनीति, राज्यनीति, अर्थनीति।
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नीतिपूर्वक परिवर्तन nitipurvak parivartan 102
  • समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व के रूप में गुणात्मक परिवर्तन।
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नीतिपूर्ण आचरण nitipurn acharan 103
  • मानवीयतापूर्ण संस्कृति एवं सभ्यता ।
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नेतृत्व netritva 103
  • जागृति सहज परम्परा में, से, के लिए नैतिकता पूर्ण प्रेरणा स्रोत।
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नैतिकता naitikata 103
  • मानवत्व सहज स्वभाव-गति प्रतिष्ठा की निरंतरता मानव में, से, के लिए आवश्यक।
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नैतिकता प्रधान naitikata pradhan 103
  • तन, मन, धन रूपी अर्थ का सदुपयोग एवं सुरक्षात्मक प्रवृत्ति और कार्य व्यवहार। नीति त्रय का अनुसरण।
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नैमित्यिक कर्म naimityik karm 103
  • नियति सहज अभ्युदय नि:श्रेयस ज्ञान-विज्ञान-विवेक को आवश्यकतानुसार प्रबोधित करना, आचरित रहना।
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नैसर्गिक naisargik 103
  • सभी अवस्थाएं एक दूसरे के साथ संयुक्त हुआ प्रभाव, प्रमाण मानव परंपरा में।
  • वन, जलवायु, धरती, खनिज और ऊष्मा का अविभाज्य वर्तमान।
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नैसर्गिकता naisargikata 103
  • समस्त मनुष्येतर प्रकृति = पदार्थावस्था, प्राणावस्था, जीवावस्था।
  • अविभाज्य पूरक वातावरण।
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न्याय nyay 103
  • संबंधों की पहचान सहित मूल्यों का निर्वाह मूल्यांकन फलन में परस्पर तृप्ति व उभय तृप्ति, वर्तमान में विश्वास।
  • मानवीयता के पोषण-संवर्धन एवं मूल्यांकन के लिए सम्पादन क्रियाकलाप।
  • नियति क्रमानुषंगी नियंत्रण।
  • सम्बन्धों व मूल्यों का पहचान व निर्वाह क्रिया।
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न्याय सुरक्षा nyay suraksha 103
  • न्याय पूर्वक ही व्यक्ति परिवार अखण्ड समाज, न्यायपूर्वक वर्तमान में विश्वास करना विश्वस्त होना।
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न्याय सुलभता nyay sulabhta 103
  • जागृत मानव सहज परंपरा, सार्वभौम व्यवस्था, लोकव्यापीकरण होना।
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न्यायपूर्ण व्यवस्था nyaypurn vyavastha 104
  • मानवीयता के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए नैतिकता पूर्वक चारों आयामों एवं पाँचो स्थितियों में निर्विषमता तथा सभ्यता, संस्कृति, विधि, व्यवस्था की एकात्मता।
  • चार आयाम - विचार, व्यवहार, व्यवसाय, अनुभव। पाँच स्थिति - व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र, अंतर्राष्ट्र।
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न्याय प्रक्रिया nyay prakriya 104
  • दश सोपानीय व्यवस्था में न्याय सुरक्षा प्रक्रिया।
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न्याय प्रदायी क्षमता nyay pradayi kshamata 104
  • संबंधों का पहचान सहित मूल्यों का निर्वाह, मूल्यांकन पूर्वक परस्पर तृप्त होने का प्रमाण।
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न्यायविद् nyayvid 104
  • वर्तमान में न्याय को प्रमाणित करने वाला।
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न्याय विधि nyay vidhi 104
  • मानवीयतापूर्ण आचरण, मानवत्व सहित व्यवस्था, परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था में भागीदारी, मानवीय आचार संहिता रूपी संविधान।
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न्यायवादी nyayvadi 104
  • न्याय बोध कराने वाला।
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