व्यवहारवादी समाजशास्त्र

by A Nagraj

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अभी तक नियम, नियंत्रण, संतुलन सहित व्यवहार में प्रमाणित नहीं हो पाये हैं। जीवन मूल्य प्रमाणित होने पर ही मानव मूल्य प्रमाणित होते हैं।

समाधान के साथ न्याय होने से सुख, समाधान समृद्धि होने से शांति, समाधान समृद्धि अभय होने से संतोष प्रमाणित होता है।

समाधान, समृद्धि, अभय, सहअस्तित्व में अनुभव होने से आनंद अर्थात सार्वभौम व्यवस्था होती है। मानव लक्ष्य प्रमाणित होने से जीवन मूल्य की प्राप्ति होती है।

सर्वाधिक लोगों में ये इच्छाएँ सर्वेक्षण से स्पष्ट हो जाती हैं। इससे पता चलता है कि इन इच्छाओं से आशित सभी तथ्य चरितार्थ होने के लिये व्यवहारवादी समाजशास्त्र का अनुसंधानित प्रस्ताव है।

जय हो ! मंगल हो !! कल्याण हो !!!

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