व्यवहारवादी समाजशास्त्र
by A Nagraj
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सहित सभा में अपने-अपने प्रस्ताव को प्रस्तुत करेगा। इसी विधि से समारोह के बीच अनेकानेक स्थलियों में हर्षध्वनि, प्रसन्नता, गीत, गायन, वाद्यों से संभ्रमित होना स्वाभाविक है। संभ्रमित का तात्पर्य पूर्णता के अर्थ में भाँति-भाँति विधि से समर्थन को प्रस्तुत करना ही है। इस प्रकार स्वास्थ्य-संयम समिति का मूल्यांकन के साथ-साथ आगामी दिनों के लिये आवश्यकीय योजनाओं को कार्य-योजनाओं को, उसमें और श्रेष्ठताओँ को संयोजित करते हुए उत्सवित होना स्वाभाविक है। इस प्रकार सम्पूर्ण मूल्यांकन कार्यकलाप वर्तमान में विश्वास के आधार पर सम्पन्न होता ही रहता है। यही नित्य उत्सव का आधार है। श्रेष्ठता के अनन्तर श्रेष्ठता सहज योजनाएँ अग्रिम क्षणों-मुहूर्त, दिनों-महिनों और वर्षों में उत्सव का आधार बनता है।
भूमि: स्वर्गताम् यातु, मनुष्यो यातु देवताम्।
धर्मो सफलताम् यातु, नित्यम् यातु शुभोदयम् ॥