व्यवहारवादी समाजशास्त्र
by A Nagraj
Page 252
को मिलता है। सम्पूर्ण मानव इस धरती मे समारोह और उत्साहपूर्वक संतुष्ट होते हैं । इसकी नित्य समीचीनता जागृति परंपरा पर्यन्त बनी ही रहेगी।