व्यवहार दर्शन* (Raw)

by A Nagraj

Back to Books
Page 145

श्रुति :- यथार्थ समझदारी का भाषाकरण ।

यथार्थ जीवन व दर्शन पूर्ण अभिव्यक्ति ।

सहअस्तित्व सहज यथार्थों का भाषा सहज संप्रेषणा, अभिव्यक्ति ।

स्मृति :- बार-बार आवश्यकतानुसार भाषा पूर्वक समझ का प्रस्तुतीकरण ।

:- भाषा से इंगित वस्तु को साक्षात्कार सहित चित्रण समेत की गई स्वीकृति, जिसको बार-बार दोहराया जाना प्रमाण है ।

मेधा, कला

मेधा :- स्मृति का धारक-वाहक क्रिया ।

:- कला को साक्षात्कार करने वाली चिंतन क्रिया ।

:- उपयोगिता एवं कला की संयुक्त उपलब्धि (प्रकाशन) एवं योग्यता मेधा अपने में, जीवन क्रियाओं में, से विज्ञान व विवेक सम्मत साक्षात्कार सहित स्वीकार क्रिया है ।

कला :- उपयोगिता योग्य सुंदर क्रिया ।

कान्ति, रूप

कान्ति :- कान्ति का तात्पर्य प्रकाश से है । सार्थकता संभावना के अर्थ में स्पष्ट होना प्रकाश है ।

रूप :- आकार, आयतन, धन ।

निरीक्षण, गुण

निरीक्षण :- अनुभव मूलक दर्शन व उसके प्रकटन की संयुक्त चिंतन चित्रण क्रिया ।

गुण :- सापेक्ष गतियाँ ।

:- सम-विषम- मध्यस्थ गतियाँ, गतियों का आंकलन ।

:- स्वभाव गति और अपेक्षित गति का प्रकाशन ।

संतोष, श्री

संतोष :- अभाव का अभाव ।

:- आवश्यकता से अधिक उत्पादन सहित विवेक सम्मत विज्ञान पूर्वक प्रमाणित होने की तत्परता ।