व्यवहार दर्शन* (Raw)

by A Nagraj

Back to Books
Page 147

कीर्ति, विचार (वस्तु)

कीर्ति :- जागृति की ओर सक्रियता ।

:- वर्तमान में विकास और जागृति के संदर्भ में की गई श्रेष्ठता व सुलभता की प्रामाणिक प्रस्तुति ।

विचार :- स्फुरण पूर्वक सत्यता को उद्घाटित करने हेतु की गई क्रिया ।

:- सहअस्तित्व सहज प्रकाशन, संप्रेषणा, अभिव्यक्ति ।

निश्चय, धैर्य

निश्चय :- सत्यतापूर्ण विचार की निरंतरता ।

:- लक्ष्य, दिशा और प्रयोजन की ओर गति ।

:- सत्यता पूर्ण विचार की निरंतरता ।

धैर्य :- न्यायपूर्ण विचार की निरंतरता ।

शांति, दया

शांति :- समाधान पूर्ण विचार का फलन ।

:- इच्छा एवं विचार की निर्विरोधिता ।

दया :- दूसरे के विकास में हस्तक्षेप न करना ।

:- पात्रता के अनुरूप वस्तु, योग्यता प्रदायी क्षमता ।

कृपा, करुणा

कृपा :- दूसरे के विकास के लिए सहायता अथवा पात्रता अर्जित करने में सहायक होने में अर्हता सम्पन्न रहना ।

:- वस्तु के अनुरूप पात्रता प्रमाणित कराने वाली क्षमता योग्यता को स्थापित करने की क्रिया ।

करुणा :- विकास के लिए उत्प्रेरित करना ।

:- विकास के लिए योग्यता और पात्रता अर्जित करने में सहायक होना ।

दम, क्षमा

दम :- ह्रास की ओर जो आसक्ति है, उसकी समापन क्रिया ।

:- भ्रम, भय और अपव्ययता से मुक्ति और जागृति में निष्ठा ।