व्यवहार दर्शन* (Raw)
by A Nagraj
श्री :- समृद्धि या समृद्धि की निरंतरता सहज स्वीकृति ।
प्रेम, अनन्यता
प्रेम :- पूर्णानुभूति ।
:- दया, कृपा, करुणा की संयुक्त अभिव्यक्ति ।
:- पूर्णता में रति व उसकी निरंतरता ।
अनन्यता :- मानव की परस्परता व नैसर्गिकता में पूरक क्रिया- कलाप।
:- प्रामाणिकता व समाधान में निरंतरता ।
:- अजागृत के जागृति में सहायक क्रिया ।
वात्सल्य, सहजता
वात्सल्य :- अभ्युदय के अर्थ में पोषण, संरक्षण की निरंतरता ।
सहजता :- स्पष्टता व प्रामाणिकता ।
:- व्यवहार, रीति, विचार एवं अनुभव की एक सूत्रता ।
श्रद्धा, पूज्यता
श्रद्धा :- श्रेय की और गतिशीलता अर्थात् आचरण पूर्णता की ओर गुणात्मक परिवर्तन ।
:- जागृति और प्रामाणिकता की ओर गति व उसकी निरंतरता ।
पूज्यता :- गुणात्मक विकास और जागृति के लिए सक्रियता ।
श्र वृत्ति सहज छत्तीस क्रियायें
तुलन एवं विश्लेषण रूपी छत्तीस क्रियाकलाप
विद्या, प्रज्ञा
विद्या :- जो जैसा है, अर्थात् जिस प्रयोजनार्थ है उसे वैसा ही विधिवत् जानने, मानने, स्वीकार करने की क्रिया ।
प्रज्ञा :- परिष्कृति पूर्ण संचेतना ।
:- यर्थाथ और यथार्थ सहज अनुमान अनुभव क्रिया ।
:- वस्तुगत सत्य, वस्तु स्थिति सत्य के प्रति अवधारणा एवं अनुभव मूलक गति और स्थिति सत्य में बोध व अनुभव मूलक गति है ।