व्यवहार दर्शन* (Raw)
by A Nagraj
लोकात्मक (ईषणात्मक) और विषयात्मक प्रवृत्तियाँ तथा इन तीनों अथवा इनके मिश्रित बौद्धिक अवस्था में ही चित्रण की अभिव्यक्ति की समर्थता है ।
श्र सतर्कता, सजगता, सहजता प्राप्त मानव जीवन में विश्राम का तथा लोकासक्त मानव जीवन में श्रम का क्षोभ है ।
श्र मानव ने अपनी क्षमता, योग्यता और पात्रता के अनुसार सहजोन्मुखता में नित्यता का, लोकोन्मुखता में अमरत्व का बोध और विषयोन्मुखता में अनित्यता की स्वीकृति किया है । सहजता मेें दिखावा, रहस्य तथा अविद्या व भ्रम का पूर्ण विलय होता है । इसीलिए जागृत मानव विकार से मुक्त है । साथ ही इस स्थिति में निरंतर तृप्ति, समाधान और विश्राम का अनुभव है ।
श्र लोकेषणा ही श्रेष्ठ ऐषणा है । देव मानव स्वयं की जागृति को प्रमाणित करने के अर्थ में मानवीय परंपरा का पोषण और सम्वर्धन के लिए जन बल व धन का नियोजन करते हैं । यही यश का कारण व स्वरूप है, जिसकी सार्थकता मानव परंपरा में व्यवस्था सार्वभौमिकता के रूप में होना है । इसके फलन में अखंड समाज का ख्याति होना आवश्यक है । लोकेषणा अर्थात् जागृत मानव परंपरा को लोकव्यापीकरण करने के क्रम मेें यश का स्वीकृति है । यश का तात्पर्य-जागृति की स्वीकृति, सहानुभूति, अनुकरण क्रिया है । मानवीयता के विरोधी जितने भी कायिक, वाचिक, मानसिक क्रियाकलाप है उससे मुक्त रहना ही यश है ।
ज्ञ चारों विषय इंद्रिय तृप्ति से सीमित है । स्थूल शरीर मात्र की मृत्यु निश्चित है इसलिए विषयों से प्राप्त सुख की निरंतरता नहीं है ।
श्र मानवीयता पूर्ण परंपरा सहज उद्देश्य से प्रयास, प्रयास भेद से साधनों का उपयोग, सदुपयोग; उपयोग, सदुपयोग भेद से फल; फल से प्रयोजन; प्रयोजन से उद्देश्य सफल होना पाया जाता है । यही जागृति पूर्ण जीवन परंपरा चक्र है ।
श्र समस्त साधनों की गणना अंतरंग और बहिरंग भेद से है ।
:: बहिरंग साधन :- शरीर व उससे उत्पन्न या उत्पादित समस्त वस्तुएँ बहिरंग साधन हैं ।
:: अंतरंग साधन :- मन, वृत्ति, चित्त, बुद्धि व उससे उत्पन्न संकल्प, इच्छा, विचार व आशा अंतरंग साधन है ।
श्र शरीर का साध्य मन, मन का साध्य वृत्ति, वृत्ति का साध्य चित्त, चित्त का साध्य बुद्धि, बुद्धि का साध्य आत्मा और आत्मा का साध्य सहअस्तित्व में अनुभव सहज प्रमाण है ।
:: साध्य :- जिसको पाना है ।
:: साधन :- साध्य को पाने हेतु आवश्यक प्रयुक्ति, उपाय एवं वस्तु ।
:: साधक :- साध्य को पाने हेतु साधन को जो प्रयुक्त करता है ।