व्यवहार दर्शन* (Raw)
by A Nagraj
(5) श्रम के फल का शोषण न हो, ऐसी नीति का विकास करना ।
ज्ञ व्यवसाय की सुरक्षा के लिये नीति निर्धारण करते समय न्याय के आश्रय से या न्यायोचित उत्पादन नीति का विकास करने से ही संपर्क एवं संबंधों के निर्वाह हेतु उपयुक्त उपयोेग, सदुपयोग, वितरण, प्रयोग व व्यवसाय के लिये समुचित अवसर उपलब्ध हो सकेगा ।
★ 4. विनिमय सुरक्षा - उत्पादित वस्तुओें का श्रम मूल्य मूल्यांकन सहित उपभोक्ता को प्राप्त कराने वाले कार्य की विनिमय संज्ञा है ।
ज्ञ विनिमय सुरक्षा के लिये निम्न आधार पर नीति निर्धारण होना चाहिए ।
ज्ञ 1. लाभ-हानि मुक्त विनिमय हेतु सहअस्तित्ववादी दृष्टि व विनिमय पद्धति को प्रोत्साहित करने वाली नीति का निर्धारण करना ।
ज्ञ 2. श्रम मूल्य और श्रम विनिमय आधारित विनिमय पद्धति को विकसित करना ।
ज्ञ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय लाभ-हानि रहित होना आवश्यक है, जो वस्तु व श्रम मूल्य के रूप में ही सफल है ।
च 5. विद्याध्ययन सुरक्षा - अस्तित्व मूलक मानव केन्द्रित, मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववादी विचार विधि से विधिवत् स्थिति सत्य, वस्तुगत सत्य वस्तुस्थिति सत्य का अध्ययन कराने वाली जानकारी की ‘विद्या’ संज्ञा है ।
ज्ञ अध्ययन को सफल बनाने का दायित्व अध्यापक, अभिभावक अध्यापन तथा शिक्षा वस्तु और प्रणाली पर है, क्योंकि यह चारों परस्पर पूरक हैं ।
ज्ञ शिक्षा प्रणाली, अध्यापक, माता, पिता तथा अध्ययन यह सब एकसूत्रात्मक होने से ही सफल विद्याध्ययन पद्धति का विकास संभव है, जिससे कृतज्ञता तथा सहअस्तित्व का मार्ग प्रशस्त होता है ।
ज्ञ शिक्षा प्रणाली के लिये शिक्षा नीति के निर्धारण के लिये धर्म-नीति और अखण्ड समाज सार्वभौम व्यवस्था रूपी राज्य-नीति का निर्भ्रम ज्ञान आवश्यक है ।
ज्ञ शिक्षा नीति का आधार एवं उद्देश्य मानव में मानवीयता तथा सामाजिकता होना अनिवार्य है । मानवीयता ही सामाजिकता है जो सार्वभौमिक तथ्य है । इसलिए इसके आधारित शिक्षा प्रणाली से मानवीयता सम्पन्न नागरिकों का निर्माण होगा जिनकी सहअस्तित्व तथा पोषण में दृढ़ निष्ठा होगी ।
शिक्षा नीति का लक्ष्य है -