व्यवहार दर्शन* (Raw)

by A Nagraj

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श्र 1. पुरुष का जीवन यतित्व से सफल है । पुरुष में जागृति को प्रमाणित करना यतित्व है ।

श्र 2. स्त्री का जीवन सतीत्व से सफल है । स्त्रियों में जागृति का प्रमाणित होना सतीत्व है ।

श्र 3. माता-पिता का जीवन व्यक्तित्व से ।

श्र 4. पुत्र का जीवन नैतिकता के प्रति निष्ठा से ।

श्र 5. व्यवस्था, न्यायपूर्ण नियम के समर्थन व पालन से ।

श्र 6. प्रजा का जीवन समग्र व्यवस्था में भागीदारी से तथा अनुशासन एवं नियम को स्वीकारने से ।

श्र 7. गुरु का जीवन अनुभव को प्रामाणिकता पूर्वक अध्ययन कराने से ।

श्र 8. शिष्य का जीवन गुरु द्वारा कराये गये अध्ययन के श्रवण, मनन तथा अर्थबोध सम्पन्नता से ।

श्र 9. सहयोगी का जीवन कर्त्तव्य को निर्वाह करने से ।

श्र 10. साथी का जीवन दायित्वों को निर्वाह करने से ।

श्र 11. भाई या बहन का जीवन एक दूसरे के अनन्य जागृति की आशा एवं प्रयास से तथा स्नेह सहित दायित्व वहन करने से ।

श्र 12. मित्र का जीवन परस्पर दिखावा रहित उदारता पूर्ण, समृद्धि सहित सर्वतोमुखी समाधान को प्रमाणित करने से सफल है ।

श्र उपरोक्तानुसार व्यवहार करने में समस्त मानव पाँचों स्थितियों में सफल हो जाय, यही धर्म-नैतिक व्यवस्था का कार्यक्रम व उद्देश्य है तथा शोषण के लिए प्राप्त समस्त प्रवृत्तियों का समूल निराकरण, मात्र उपरोक्तानुसार प्रतिष्ठित आचरण से ही संभव है । इसी विधि से अखण्ड समाज का प्रतिष्ठित होना स्पष्ट है ।

मानव राज्य-नीति

परिभाषा

:: राज्य नीति का अर्थ ः- तन, मन एवम् धन की सुरक्षा के लिए विधि व्यवस्था प्रदान करने हेतु जो मानवीयता पूर्ण कार्यक्रम है, उसे ‘राज्य नीति’ संज्ञा है ।

:: राज्य ः- जिस भू क्षेत्र में मानव का आवास एवं व्यवसाय है और साथ ही जो एक ही व्यवस्था तंत्र के आश्रित हो एवं सार्वभौम व्यवस्था तंत्र में भागीदार हो, उसे ‘राज्य’ संज्ञा है ।