अर्थशास्त्र

by A Nagraj

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खनिज :-

स्थानीय विविध उत्पादनों, आवास निर्माण सड़क मार्ग आदि में लगने वाली खनिज वस्तुओं उचित स्थान से उपयोग करने की व्यवस्था “उत्पादन-कार्य सलाहकार समिति” द्वारा होगी। यदि खनिज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, व उसकी गाँव से बाहर भी मांग है, उस स्थिति में कुछ व्यक्ति खनिज-उत्पादन के आधार पर मूल्य “विनिमय-कोष” द्वारा दिया जायेगा। उत्पादित खनिजों का विनिमय, विनिमय कोष द्वारा ही किया जाएगा। उत्पादित खनिजों के स्थल में उनमें व्यवसाय मूल्य को स्थापित करने की व्यवस्था रहेगी।

हस्त शिल्प, हस्त कला संबंधी उत्पादन कार्य :-

स्थानीय रुप से उपलब्ध, जानकारी व आवश्यकताओं के आधार पर गाँव के कुछ सदस्यों को निम्न कार्यों में लगाया जाएगा। इसके लिए प्रशिक्षण व अन्य सुविधाओं की व्यवस्था “उत्पादन-कार्य सलाह समिति” करेगी। सभी उत्पादित वस्तुओं को विनिमय-कोष समिति खरीदेगी व वह उसका उचित मूल्य देगी।

चित्र कला, मूर्ति कला, बुनाई, कढ़ाई, छपाई, सिलाई दस्तकारी, रंगाई, सूत कातना, सूखा पत्ता, कागजों से अलंकारिक स्वरुप देने का कार्य, ग्रिटिंग्स कार्ड बनाने का कार्य, एम्ब्राइडरी, इनग्रेव्हिंग का कार्य, स्थानीय अनुभवों के आधार पर तत्काल क्रियान्वयन करना व उनको और ज्यादा कुशल, उन्नत और प्रोत्साहित करने की व्यवस्था होगी।

ग्राम शिल्प :-

हस्त शिल्प की तरह कुछ व्यक्तियों को ग्राम शिल्प संबंधी कार्यों में लगाया जावेगा। यह कार्य निम्न में से हो सकते हैं :-

धातु कला, काष्ठ कला, कृषि संबंधी औजार, चर्म कला, बांस कला, फर्नीचर, रेशम उद्योग, कुम्हार सम्बंधी उत्पादन, मिट्टी के बर्तनों पर नक्काशी व अन्य तरह के खिलौने आदि बनाने का कार्य। विशेष कपड़ा बुनाई (स्थानीय अनुभव के आधार पर)।

कुटीर उद्योग :-