अर्थशास्त्र

by A Nagraj

Back to Books
Page 164

करेगी व व्यापारी करण के स्थान पर उत्पादनीकरण पर ध्यान देगी। विनिमय कोष की कार्य पद्धति निम्न प्रकार से होगी।

विनिमय कोष (बैंक) नौकरी की मानसिकता को हटाकर उत्पादन की मानसिकता को लाने के लिए शिक्षा समिति के साथ सहयोग करेगा। यह गाँव में रह रहे सब व्यापारियों को होर्डिंग (संग्रह) के स्थान पर उत्पादनीकरण का कार्य के लिए प्रेरणा, व प्रशिक्षण भी देगा। इस तरह लाभ-हानि मुक्त उत्पादन व विनिमय व्यवस्था जो कि श्रम के आदान प्रदान व आवर्तनशीलता पर आचरित होगी, को स्थापित करने में विनिमय कोष कार्य करेगा।

विनिमय व्यवस्था बैंकिग पद्धति पर आधारित होगी। प्रत्येक व्यक्ति जो स्थानीय सीमावर्ती निवासी है व उत्पादित वस्तुओं का विक्रय करता है और आवश्यकीय वस्तुओं का क्रय करता है, वह इस कोष का खातेदार (सदस्य) होगा। प्रत्येक व्यक्ति का खाता विनिमय कोष में होगा। प्रत्येक व्यक्ति अपनी आवश्यकता से अधिक उत्पादित वस्तुओं को विनिमय कोष को बेचेगा। वस्तु मूल्य निकटस्थ बाजार भाव के आधार पर तय होगा (निकटस्थ बाजार में जाकर बेचने से, जो दाम मिलेंगे उसमें परिवहन मूल्य घटा दिया जायेगा। विक्रय मूल्य निकटस्थ बाजार भाव के अनुसार तय होगा।

कोष इसी तरह बाहर (शहर व अन्य बाजारों) से वस्तुओं को थोक भाव खरीदेगा व अपने सदस्यों को उपरोक्त पद्धति से बेचेगा। इसी तरह कोष में गाँव के सदस्यों द्वारा, बेची हुई वस्तुएँ, जो स्थानीय आवश्यकता से बच जायेगी, उन्हें शहर व अन्य बाजारों में बेचेगा व उनका मूल्य प्राप्त करेगा। इस क्रय विक्रय से जो कुछ भी अनायास लाभ होगा, उसको गाँव की सामान्य सुविधाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए अर्पित किया जावेगा। यह कार्य ग्राम स्वराज्य सभा द्वारा संचालित किया जाएगा। इसी धन को गाँव के विकास पर खर्च किया जावेगा। कोष में प्रत्येक सदस्य की न्यूनतम राशि हमेशा जमा रहेगी ताकि कोष का कार्य सुचारु रुप से चलाया जा सके। जिसकी राशि नहीं होगी उसे कोष, ब्याज रहित ऋण देगा। जिसे वह सदस्य वस्तु का उत्पादन कर, कालान्तर में बैंक को विक्रय कर चुकता कर देगा।

जिन सदस्यों ने न्यूनतम से अधिक राशि, खाते में रखी है उनकी सहमति से, विनिमय कार्य के लिए आवश्यकता पड़ने पर, विनिमय कोष, उस धन राशि का उपयोग करेगा व