अर्थशास्त्र

by A Nagraj

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व विनिमय समिति के साथ मिलकर, एक ग्रामव्यापी कृषि योजना तैयार करेगी। जिसमें पशुपालन व ग्राम सीमावर्ती वन प्रबंध का समावेश होगा। योजना में पूरे ग्राम की स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर धान, गेहूँ, दलहन, तिलहन, मसाला, सुगन्धित वनस्पतियों, औषधियों, रेशा, कन्द जाति की उपजों, साग सब्जियों, फलों आदि की आवश्यकता से अधिक उत्पादन करने का कार्यक्रम होगा।

योजना में निम्न कार्यों की व्याख्या करने का कार्यक्रम होगा।

  • स्थानीय रूप से जो कृषि में पारंगत है उनमें ग्राम के अन्य लोगों (जो कृषि कार्य कर रहे हैं या जिनको भविष्य में कृषि कार्य लगना है) को कृषि में पारंगत बनाने की व्यवस्था।
  • स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार सिंचाई साधनों को एकत्रित करने की व्यवस्था। कृषि संभावित भूमि को, कृषि योग्य बनाकर उनका आबंटन (ऐसे व्यक्तियों को जिनके पास कृषि भूमि नहीं है) की व्यवस्था।
  • बंजर भूमि में उपयोगी फलदार वृक्ष, जड़ी बूटियों को लगाने की व्यवस्था।
  • कृषि के साथ उपयोगी वृक्ष, चारा, साग सब्जियों, व सुगंधित वनस्पतियों की उन्नत प्रणाली को सुलभ (प्रशिक्षण व क्रियान्वयन) करने की व्यवस्था।
  • उन्नत बीज उपलब्ध कराने व तैयार कराने की व्यवस्था। गाँवव्यापी गोबर गैस व कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए व्यवस्था।
  • कृषि, फल, साग, सब्जियों में होने वाले रोगों के निवारण में, स्थानीय अनुभवों को सर्वाधिक उपयोग करने की व्यवस्था। रोगों के निवारण न होने की स्थिति में अन्य बाह्य प्राप्त स्रोतों के सहयोग से निवारण की व्यवस्था।
  • कृषि को उत्पादन बढ़ाने के लिए समस्त आवश्यकीय उपायों को सुलभ करने की व्यवस्था। कृषि संबंधी समस्त समस्याओं को निराकरण उत्पादन सलाहकार समिति करेगी।

पशुपालन :-

कृषि के साथ पशुपालन अनिवार्य होगा। पशुपालन के साथ गोबर गैस प्लांट अनिवार्य होगा। गोबर गैस प्लांट स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार कुछ परिवार मिलकर,