अर्थशास्त्र

by A Nagraj

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ग्राम का प्रत्येक परिवार दस (10) व्यक्तियों के स्वरूप में होगा। परिवार का प्रत्येक सदस्य मिलकर परिवार सभा का गठन करेंगे। परिवार सभा के सब सदस्य मिलकर एक ऐसे व्यक्ति को प्रतिनिधि के रूप में चुनकर परिवार समूह सभा के लिए निर्वाचित करेंगे जो समाधान सहित परिवार में समृद्धि पूर्वक जीते हों।

इस प्रकार 10 परिवारों के प्रधानों से मिलकर एक “परिवार समूह सभा” का गठन किया जायेगा। ऐसे प्रत्येक 10 “परिवार समूह सभा” से एक व्यक्ति को, ग्राम सभा के लिए निर्वाचित करेगा। इसी प्रकार 10 परिवार समूहों से निर्वाचित 10 सदस्य, ग्राम सभा का गठन करेंगे, जिसमें से एक ग्राम सभा का प्रधान होगा। सामान्यतः सौ परिवार मिलकर एक “ग्राम स्वराज्य सभा” का गठन करेंगे जिसमें 10 निर्वाचित सदस्य होंगे। यदि किसी ग्राम में 100 (एक सौ) परिवार से ज्यादा जनसंख्या है तो उसी 10 के गुणांक में उस ग्राम सभा के सदस्य होंगे। उदाहरण के लिए यदि गाँव की जनसंख्या 2000 (दो हजार) है तो उस “ग्राम सभा” में 20 सदस्य होंगे।

कालान्तर में उपर्युक्त व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक ग्राम सभा के निर्वाचित सदस्य अपने दस सदस्यों में से एक सदस्य को “ग्राम समूह सभा” में, ग्राम समूह सभा के दस सदस्य एक को, ग्राम क्षेत्र सभा, ग्राम क्षेत्र सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य को मंडल सभा, मंडल सभा के 10 सदस्यों में से एक सदस्य को “मंडल समूह सभा”, मंडल समूह सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य को “मुख्य राज्य सभा”, मुख्य राज्य सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य को “प्रधान राज्य सभा” व प्रधान राज्य सभा के दस सदस्यों में से एक सदस्य को “विश्व राज्य सभा” के लिये निर्वाचित करेंगे। इस प्रकार प्रत्येक स्तर में प्रत्येक व्यक्ति सिर्फ 10 व्यक्तियों का मूल्यांकन कर अगली सभा के लिए सदस्य निर्वाचित करेंगे।

निर्वाचित सदस्यों की अर्हता :-

परिवार से लेकर ग्राम-सभा तक प्रत्येक निर्वाचित सदस्य की अर्हता निम्न होगी :-

  • उसकी आयु कम से कम 21 वर्ष होगी।

वह समाधान सहित समृद्धि पूर्वक जीता होगा और व्यवसाय में स्वावलम्बी व व्यवहार में सामाजिक होगा।