अर्थशास्त्र
by A Nagraj
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दायित्यों का निर्वाह अपने निजी व्यवसाय के अलावा करेगा। वयोवृद्ध स्त्री व पुरूष, जो जीवन विद्या व वस्तु विद्या में पारंगत है उनको समितियों के अंशकालिक व पूर्णकालिक सदस्य होने का अवसर रहेगा। प्रत्येक समिति का विस्तृत कार्यक्रम अगले खंडों में विस्तार से दिया गया है।
ग्राम स्वराज्य व्यवस्था के लक्ष्य निम्न होंगे :-
- गाँव के प्रत्येक मानव को मानवीय शिक्षा संस्कार से सम्पन्न करना।
- प्रत्येक व्यक्ति को व्यवसाय में निपुणता-कुशलता को सहज सुलभ करना।
- प्रत्येक व्यक्ति को व्यवहार में सामाजिक बनाना।
- प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी उत्पादन कार्य में प्रवृत्त करना।
- उत्पादित वस्तुओं को विनिमय कोष द्वारा, लाभ हानि मुक्त पद्धति से क्रय-विक्रय करने की व्यवस्था प्रदान करना और ग्रामवासियों के लिए आवश्यकीय वस्तुओं को उपलब्ध कराना।
- प्रत्येक व्यक्ति को न्याय व सुरक्षा सहज सुलभ कराना। साथ ही सुधारवादी प्रक्रिया से, गलती व अपराधों का निराकरण करना।
- प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के प्रति अवधारणा पूर्वक संकल्पबद्ध करना, व्यायाम व खेलों के लिए प्रोत्साहित करना, संक्रामक रोग-विरोधी टीकों की उपयोगिता से अवगत कराना। साथ ही सहज व सस्ती चिकित्सा की व्यवस्था करना।
- प्रत्येक व्यक्ति में स्वयं के प्रति विश्वास, श्रेष्ठता के प्रति सम्मान, परिवार व्यवस्था के प्रति विश्वास व निष्ठा उत्पन्न करना।
- प्रत्येक व्यक्ति/परिवार अपनी आवश्यकता से अधिक उत्पादन करे, ऐसा सुनिश्चित उपाय करना।
- ग्राम के लिए सामान्य सुविधाओं की व्यवस्था करना।
- व्यक्तित्व व प्रतिभा का संतुलन उदय हो, ऐसा सुनिश्चित उपाय करना।
प्रत्येक परिवार में भौतिक समृद्धि व बौद्धिक समाधान साक्षित करना, समस्त ग्रामवासियों की परस्परता में अभयता व सहअस्तित्व चरितार्थ करना।